सांची के 12 करोड़ रु. के मिल्क प्रोडक्ट जाम, मिड-डे मील बंद होने से नुकसान

सांची के 12 करोड़ रु. के मिल्क प्रोडक्ट जाम, मिड-डे मील बंद होने से नुकसान

जबलपुर ।  एशिया की सबसे अच्छी क्वालिटी का दुग्ध उत्पादक जबलपुर में होता है। सबसे ज्यादा यहां ही दूध की पैदावर होती है, दूसरे राज्यों में भी यहां से दूध भेजा जाता है। 25 हजार किसानों से सांची दुग्ध संघ दूध खरीदता है,लेकिन जैसे ही लॉकडाउन लगा वैसे ही दूध से बने प्रोडक्ट रखे रह गए और सांची दुग्ध संघ को नुकसान उठाना पड़ा। वहीं दूसरी ओर मिडे मील बंद है। स्कूल,आंगनवाड़िया बंद होंने से भी सप्लाई रुक गई है। जिससे करीब 12 करोड़ रुपए के मिल्क प्रोडक्ट जाम हो गए। जबलपुर सांची दुग्ध संघ के द्वारा रीवा, शहडोल, सिवनी, बालाघाट, कटनी सहित संभाग के अन्य जिलों में प्रोडक्ट और दूध भेजा जाता है। हालांकि खरीददार कोरोना के कारण गायब है। गौरतलब है कि इस साल कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन की मार हर वर्ग को झेलनी पड़ी है, वहीं अनलॉक होने के बाद भी सभी वर्ग लगातार परेशान हैं। जबलपुर स्थित सांची दुग्ध संघ भी इन दिनों नुकसान से परेशान है। दूध पाउडर और दूसरे मिल्क प्रोडक्ट का ओवर स्टॉक हो गया है, लेकिन प्रोडक्ट नहीं बिकने के कारण पूरा माल खराब होने की कगार पर है।

इन जिलों से एकत्र होता है दूध

दूध सांची दुग्ध संघ करीब 25 हजार किसानों से दूध इकट्ठा करता है, ये दूध जबलपुर, नरसिंहपुर, मंडला, शिवनी, बालाघाट और शहडोल से जबलपुर आता है और इसको पैक करके, दूध पाउडर, क्रीम और दूसरे उत्पादों में बदलकर अपने छोटे-छोटे पार्लर के जरिए बेचा जाता है। लॉकडाउन के दौरान पूरे बाजार में मंदी छा गई थी, दुकानें बंद रही जिसकी वजह से दूध और उनसे बने हुए सामानों की मांग में भारी कमी आई थी। इसका नुकसान सांची दुग्ध संघ के आॅफिस को भी उठाना पड़ा है।

बाजार में घटी मांग

बताया जा रहा कि कोरोना वायरस की वजह से जब लॉकडाउन आया तो अचानक से बाजार बंद होने से दूध और उससे बने हुए सामान खोया, पनीर, घी, मट्ठा की मांग घट गई, लेकिन सांची ने किसानों को निराश नहीं किया और लगातार किसानों से दूध खरीदता रहा, साथ ही किसानों को इस दूध का पैसा भी दिया गया। हालांकि मजबूरी में सांची को अपने दूध को पाउडर फॉर्म में कन्वर्ट करना पड़ा। इस समय सांची के पास लगभग 12 करोड़ रुपए के दूध पाउडर, घी और दूसरे दुग्ध उत्पाद स्टॉक में हैं।

25 हजार किसान जुडे हैं संघ से

सांची दुग्ध संघ का कहना है कि त्योहारों का सीजन आ रहा है और उन्हें उम्मीद है कि बचा हुआ स्टॉक बाजार में बिक जाएगा। सांची दुग्ध संघ के जबलपुर डिवीजन फिलहाल थोड़े संकट में जरूर है, लेकिन किसी बड़े नुकसान में नहीं है। दूध पाउडर की बहुत बड़ी मांग मिड डे मील से आती थी, लेकिन मिड डे मील फिलहाल बंद है। इसलिए ये स्टॉक बढ़ गया है। दुग्ध संघ 25 हजार किसानों के साथ ही पार्लर चलाने वाले लोगों को भी बड़ा रोजगार मुहैया करवाता है। इसका सफल और सही संचालन जरूरी है, क्योंकि भारत जैसे देश में जहां बहुत छोटे किसान दूध का उत्पादन करते हैं उन्हें केवल सरकारी दुग्ध संघ के माध्यम से ही रोजगार मिल सकता है। इन किसानों को अपने स्तर पर दूध के सही दाम और बाजार नहीं मिल पाते। ऐसे में सरकार को समय-समय पर इनकी मदद करनी चाहिए, जिससे उनका घर चल सकें।