1997 से ‘रंगमंडल’ को फिर स्थापित करने के लिए 4 करोड़ बजट की मांग

1997 से ‘रंगमंडल’ को फिर स्थापित करने के लिए 4 करोड़ बजट की मांग

बहु कला केंद्र भारत भवन ने आज सफल 40 वर्ष पूरे करते हुए 41 वें वर्ष में प्रवेश किया है। इस सफर के दौरान भारत भवन ने कलाओं के क्षेत्र में न सिर्फ भोपाल बल्कि मप्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान दिलाई। 1980 में शुरू हुए इस भवन की डिजाइन परिकल्पना मशहूर आर्किटेक्ट चार्ल्स कोरिया ने की थी। इसके बाद इसका उद्घाटन 13 फरवरी 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। अपने स्थापना से लेकर अब तक कला के इस मंदिर को कुछ ऐसे पलों का साक्षी होने का अवसर मिला, जब यहां कई बड़े और प्रतिष्ठित समारोहों की नींव रखी गई। इस मंच को इस बात का भी गौरव हासिल है कि इसमें देश के नामचीन कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी हैं। साथ ही इस जगह पर 1981 में रंगमंडल की स्थापना की गई थी। जहां पहले बैच में 17 सदस्य जुड़े थे। साथ ही साल 2014 में आखिरी नाटक मार्शल पर्नियोल का लिखा 'मिस्टर तापस' और अलोपी वर्मा के निर्देशन मंचित हुआ था। भारत भवन के 40 वां वर्षगांठ समारोह में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने घोषणा करते हुए कहा कि रंगमंडल फिर से शुरू किया जाएगा। आईएम भोपाल ने उन रंगकर्मियों से बात की जो शुरू से रंगमंडल से जुड़े हुए हैं। साथ ही इसमें लगने वाले बजट और जरूरी बिंदुओं पर भी अपनी बात रखी।

4 करोड़ के बजट की मांग 

अभी रंगमंडल को शुरू करने की घोषणा हुई है। साथ ही इसके लिए पहले तैयारी करनी होगी इसके बजट को लेकर भी काम करना होगा। पहले जब रंगमंडल में भारत भवन के साथ ही इसका बजट मिल जाता था। जब से यूनिट्स के तौर पर रंगमंडल ने काम किया है। अगर यह फिर से शुरू होता है तो सालाना इसका बजट रंगमंडल के लिए खासतौर से सालाना 4 करोड़ का होना जरूरी होगा। हमने इसके लिए अप्लाई किया है जिसका निर्णय सरकार के हाथ है। - प्रेम शंकर शुक्ला, प्रशासनिक अधिकारी भारत भवन

यह की थी घोषणा

संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने भारत भवन के 40वें वर्षगांठ समारोह में कहा था कि भारत भवन की पुरानी धरोहर रंगमंडल को पुन: प्रारंभ किया जाएगा। रंगमंडल ने प्रदेश को अनेक प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध कलाकार दिए हैं। इससे प्रदेश के कलाकारों को अपनी साधना के लिए एक प्रतिष्ठित और उपयुक्त मंच हासिल होगा ।

नए स्वरुप के साथ प्रदेश के आर्टिस्टों को रोजगार भी मिलेगा

1981 में जब रंगमंडल की शुरुआत हुई तब हम सभी को बव कारंत जी से बहुत कुछ सीखने को मिला। उनका हमेशा यही कहना था कि रंगमंडल को सिर्फ प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में पहुंचाना है। थिएटर को एक नया स्वरुप देखने को मिलेगा और रोजगार भी बढ़ेगा। रंगमंडल में रहते हुए ही मैंने न सिर्फ एक्टिंग बल्कि थिएटर से जुड़ी सभी चीजों को सीखा जिसकी बदौलत मुझे साल 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से 'संगीत नाटक अकादमी अवार्ड' मिला। - कमल जैन, वरिष्ठ रंगकर्मी

कम से कम 25 आर्टिस्टों और टेक्नीशियन की हो नियुक्ति

रंगमंडल अगर खुलता है तो यह अपने आप में अच्छी बात है। साथ ही रंगमंडल फिर से स्थापित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना पड़ेगा। क्योंकि इसके शुरू होने से ही कम से कम 25 आर्टिस्टों की नियुक्ति करनी होगी। सभी प्रक्रिया से गुजरने के बाद एक आर्टिस्ट की तन्खा पर बात होगी। उस समय जब हम रंगमंडल से जुड़े थे तब हमें पांच हजार रूपए मिलते थे। अब परिस्थतियां बदल गई है अब एक आर्टिस्ट को कम से कम 30 हजार से 50 हजार तक देना होगा। - संजय मेहता, वरिष्ठ रंगकर्मी

मध्यप्रदेश के कलाकारों की 100 प्रतिशत हो भागीदारी रंगमंडल फिर से शुरू होने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है। जो कलाकार लिए जाएंगे वो कलाकार पूरे प्रदेश से लिए जाएं जिसमें मध्यप्रदेश के 100%कलाकारों की भागीदारी हो। रंगमंडल 1997 में बंद हुआ था और इसलिए बंद हुआ था क्योंकि कलाकार स्थाई होने की मांग कर रहे थे जो की होना नहीं चाहिए। यह पूरी तरह से वार्षिक अनुबंध पर निर्भर होना चाहिए। मालवी,बुंदेलखंडी, बघेलखंडी और निमाड़ी में रंगप्रस्तुतियां होना अनिवार्य करें। - आलोक चटर्जी, पूर्व डायरेक्टर,एमपीएसडी