मप्र में 7500 खदानें संचालित सुरक्षा पर केवल 15 करोड़ खर्च

मप्र में 7500 खदानें संचालित  सुरक्षा पर केवल 15 करोड़ खर्च

भोपाल ।  मध्यप्रदेश में कोयला से लेकर अन्य खनिज की करीब 7 हजार 500 खदानें संचालित हैं। इन खदानों की सुरक्षा के लिए बजट में हर साल 15 करोड़ की राशि का प्रावधान किया जाता है, जिससे खदान बंद होने की स्थिति में उसकी तार फेसिंग कराई जा सके। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि खदानों में होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके, लेकिन बीते साल ही खदानें धसकने, खदानों में पानी भरने और उनमें डूबने से ही कई लोगों की मौतें हो चुकी हैं। प्रदेश में पायरोफिलाइट, डोलोमाइट, मेंगनीज अयस्क, ग्रेनाइट, कोयला, चूना पत्थर, रॉकफॉस्फेट, डायस्पोर, कॉपर, बाक्साइट, आयरन, मुरम, रेत तथा पत्थर आदि की 7 हजार 500 खदानें संचालित हैं। सरकार खदान आवंटित करते समय उसकी सुरक्षा और उसमें होने वाली दुर्घटना को रोकने की जिम्मेदारी ठेकेदार को सौंप देती हैं, लेकिन बजट में खदानों की सुरक्षा के लिए अलग से 15 करोड़ का प्रावधान किया जाता है, परन्तु इस राशि का उपयोग किन कार्यों के लिए किया जा रहा है, इसका उल्लेख बजट दिशा-निर्देशों में नहीं है।

 क्या है माइनिंग के बजट की स्थिति 

2020-21 के लिए बजट 797.81 करोड़ , खदानों का विकास 31.94 करोड़ ,खनिजों की खोज के लिए 14.82 करोड़, धातुकर्म उद्योगों के लिए 99.94 लाख, अन्य कार्यों पर व्यय 8करोड़ रुपए ,विशेष सेवाओं के लिए 2.50 करोड़, व्यवसायिक सेवाओं पर 3.35 करोड़ ,वेतन-भत्तों के लिए 20.41करोड़

 बीते साल कई लोगों की हुई मौते

बिजुरी में 16 जनवरी 2019 को शिवदीन की दबने से मौत हो गई। , अमरकंटक ग्राम लपटी में 29 जनवरी 2019 को एक अवैध पत्थर खदान में पत्थर की तुड़ाई के दौरान दो लोग खदान की चट्टान धसकने से दब गए। इस घटना में दबने वाले पति-पत्नी थे। पति गोवर्धन को ग्रामीणों ने निकालकर बचा लिया, लेकिन पत्नी की मौत हो गई।, प्रदेश में अवैध रेत खनन पर लगाम नहीं लग पाने की वजह से पिछले साल 9 लोगों की मौत हुई। 22 जून 2019 को बड़वानी के छोटा बड़दा गांव में सुबह खदान धंस गई और पांच मजदूरों की मौत हो गई। जहां खुदाई हो रही थी वह सरकारी जमीन थी। , पार्वती नदी के किनारे रेत की अवैध खदान धंसने से दो बच्चों समेत चार लोगों की मौत हो गई थी। , पिछले साल ही बंद ओसीएम कोयला खदान में अवैध उत्खनन से लक्ष्मण तिवारी की मौत हो गई।

ठेकेदारों की जिम्मेदारी 

सरकार माइनिंग की खदानें 30 से 90 साल तक के लिए आवंटित करती है। इन खदानों में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और सुरक्षा व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी ठेकेदारों की होती है। इनकी सुरक्षा के लिए बजट में कितनी राशि रखी गई है, ये बजट प्रावधान देखने के बाद ही कुछ बता सकूंगा। विनीत कुमार आस्टिन, संचालक, खनिज विभाग