मप्र में 785 बाघ, अब 500 और बाघों की केयरिंग कैपेसिटी बची

मप्र में 785 बाघ, अब 500 और बाघों की केयरिंग कैपेसिटी बची

भोपाल। राष्ट्रीय बाघ गणना-2022 की शनिवार को जारी रिपोर्ट में मप्र में बाघों की संख्या बढ़कर 785 हो गई है। बीते आठ साल की बात करें, तो प्रदेश में 477 बाघ बढ़ गए हैं। मप्र में कुल 6 नेशनल पार्क हैं, जिनमें से कुछ बाघों के लिहाज से फुल हो चुके हैं। अब प्रदेश के जंगलों में 500 और बाघों की केयरिंग कैपेसिटी ही शेष है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पेंच टाइगर रिजर्व में बाघ प्रबंधन पर काम करने वाले सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी डा़ॅ रामगोपाल सोनी कहते हैं कि संरक्षित क्षेत्रों को भी तैयार करना पड़ेगा। तीन से पांच किमी की दूरी पर जंगल में नदी-नालों पर छोटे बांध बनाकर पानी की व्यवस्था करनी पड़ेगी। ऐसा करने से इन क्षेत्रों में शाकाहारी वन्यप्राणियों (चीतल, सांभर, हिरण, नीलगाय, सुअर) की संख्या बढ़ेगी और बाघ इन क्षेत्रों को ठिकाना बना लेंगे।

पन्ना नेशनल पार्क फुल

पन्ना टाइगर रिजर्व में 55 से अधिक बाघ हैं। इसकी फुल कैपेसिटी 60 बाघों की है। इस एरिया को नहीं बढ़ाया गया, तो भविष्य में भोजन में दिक्कत आएगी और बाघों में टेरिटोरियल फाइट भी बढ़ेगी।

पेंच में 50 की क्षमता, अब हो गए हैं 77 बाघ

मध्यप्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व से पेंच नेशनल पार्क में बाघों की डेंसिटी क्षमता से ज्यादा हो गई है। पार्क के क्षेत्रफल के हिसाब से यहां ज्यादा बाघ हैं। पेंच का एरिया 758 वर्ग किमी है। यहां वर्तमान में 77 बाघ हैं, जबकि इनकी क्षमता सिर्फ 50 बाघों के रहने लायक है।

कान्हा में 106 हुए बाघ

कान्हा नेशनल पार्क में भी क्षमता से ज्यादा बाघ हैं। यहां क्षमता 65 बाघों के रहने के लिए है, लेकिन वर्तमान में यहां 105 बाघ हो गए हैं।

सतपुड़ा में 65 बाघों की क्षमता

यहां वर्तमान में 50 बाघ हैं, जबकि इसकी क्षमता 65 बाघों तक की है। आगामी दो से तीन सालों में इसकी कैपेसिटी फुल हो जाएगी।