हमनाम के खिलाफ लुक आउट नोटिस से 11 साल से एयरपोर्ट पर परेशानी झेल रहे एक बुजुर्ग, दिल्ली हाईकोर्ट से मांगा इंसाफ

हमनाम के खिलाफ लुक आउट नोटिस से 11 साल से एयरपोर्ट पर परेशानी झेल रहे एक बुजुर्ग, दिल्ली हाईकोर्ट से मांगा इंसाफ

नई दिल्ली ।  दिल्ली हाईकोर्ट ने आव्रजन ब्यूरो और केंद्रीय पासपोर्ट संगठन से एक वरिष्ठ नागरिक की याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें दावा किया गया है कि 11 साल से जब भी वह (याचिकाकर्ता) विदेश यात्रा करते हैं, तो उनके एक हमनाम के विरुद्ध लुक आउट नोटिस होने के कारण हवाई अड्ड पर उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा है। और उनसे तरह-तरह के सवाल-जवाब किए जाते हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, हर बार पूछताछ के बाद अधिकारी संतुष्ट हो जाते हैं कि यह वह व्यक्ति नहीं है। बुजुर्ग ने बताया, उनके हमनाम के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी होने से हर बार उनके द्वारा विदेश जाने पर फिर से यही प्रक्रिया दोहराई जाती है।

 आश्वासन के बाद भी अब तक नहीं उठाया गया कोई कदम 

जस्टिस नवीन चावला ने आव्रजन ब्यूरो और केंद्रीय पासपोर्ट संगठन को नोटिस जारी करते हुए उनसे समस्या के समाधान के बारे में भी पूछा और मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर तक के लिए टाल दी। अदालत अशोक अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनका पक्ष वकील प्रांजल किशोर रख रहे थे। अग्रवाल ने याचिका में कहा है कि उनके पासपोर्ट पर कोई भी प्रतिकूल टिप्पणी है तो उसे हटाया जाए, जिससे हर बार जब वह विदेश जाएं तो उन्हें रोक कर पूछताछ न की जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि अग्रवाल पर देश में कभी कोई मुकदमा नहीं चला, लेकिन 2009 से जब भी वह विदेश यात्रा पर जाते हैं, उनसे हवाई अड्डे पर तरह- तरह के सवाल-जवाब किए जाते हैं। याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया है कि 31 अगस्त 2017 व 14 मार्च 2018 को लिखे गए ईमेल के जरिए मुंबई व नई दिल्ली के विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालयों ने अग्रवाल को आश्वासन दिया था कि सुधार के कदम उठाए गए हैं, ताकि विदेश यात्रा पर जाने के दौरान उन्हें तंग न किया जाए।

याचिकाकर्ता ने की हर्जाने की भी मांग 

बुजुर्ग ने कोर्ट को बताया कि आश्वासन मिलने के बाद भी मुझसे एयरपोर्ट पर पूछताछ और परेशान किया जाना जारी है। पासपोर्ट पर प्रतिकूल टिप्पणी को ठीक करने के अलावा अग्रवाल ने यह भी याचना की है कि उनके विरुद्ध यदि कोई लुक आउट नोटिस जारी है तो, उसे निरस्त किया जाए और इतने वर्षों तक उन्हें जो बेवजह परेशानी झेलनी पड़ी है उसका हर्जाना दिया जाए।