सारा काम कंसलटेंटों के भरोसे, स्मार्ट सिटी में फौज की जरूरत पर उठे सवाल

सारा काम कंसलटेंटों के भरोसे, स्मार्ट सिटी में फौज की जरूरत पर उठे सवाल

जबलपुर । 5 साल पहले केन्द्र सरकार के निर्णय पर गठित हुई स्मार्ट सिटी शहर को तो स्मार्ट नहीं कर पा रही है अलबत्ता इसमें नौकरी के नाम पर जरूर लोग स्मार्ट हो गए हैं। भरपूर फंड होते हुए योजनाएं समय पर पूरी नहीं हो रही हैं। सारा काम कंसलटेंट्स के भरोसे है तो ऐसे में स्मार्ट सिटी में भारी-भरकम वेतन पर तैनात 25 अधिकारी और कर्मचारियों पर होने वाला सालाना सवा करोड़ का खर्च समझ से परे है। हैरत की बात है कि करीब 400 करोड़ रुपए होते हुए 5 साल में स्मार्ट सिटी शहर को 5 बड़े प्रोजेक्ट नहीं दे पाई है। चंद प्रोजेक्ट जो उल्लेखनीय हैं उनके पूरे होने का अता-पता नहीं है। स्वच्छता अभियान, निवेशकों को आकर्षित करने करोड़ों रुपए के कल्चरल कार्यक्रम,मीट इत्यादि पर खर्च कर दिए गए हैं। इसके बाद योजनाएं बनाने में कंसलटेंट्स कंपनियों को करोड़ों रुपए का भुगतान हो चुका है। यहां तक कि तकनीकी अधिकारी तक फील्ड से परहेज करते हैं और टेबल पर ही कामकाज की प्रगति देखते हैं,तो इनके वेतन पर भारी-भरकम राशि खर्च करना किसी शहर वासी को समझ में नहीं आ रहा है।

8 माह से प्रोजेक्ट बनना बंद

स्मार्ट सिटी में 8 माह पूर्व कागजों में प्रोजेक्ट बनाकर जनता हितैषी प्रोजेक्ट बताते हुए खुद की पीठ थपथपाने का काम हो रहा था। 8 माह से यह काम भी बंद है। जिस भी कंसलटेंट कंपनी को नियुक्त किया गया है उसके द्वारा शहर विकास के नाम पर एक भी प्रोजेक्ट तैयार नहीं किया गया। पूर्व में जो प्रोजेक्ट कंसलटेंट्स कंपनियों द्वारा तैयार किए गए हैं उन्हें ही पूरा करने की कवायद जारी है।