बाला साहेब ठाकरे, महाभारत का जिक्र कर शिवसेना ने कंगना को दी चेतावनी

बाला साहेब ठाकरे, महाभारत का जिक्र कर शिवसेना ने कंगना को दी चेतावनी

मुंबई।  शिवसेना ने एक बार फिर से कंगना रनौत पर निशाना साधा है। इस बार बाला साहेब ठाकरे से लेकर महाभारत का जिक्र कर कंगना रनौत इशारों-इशारों में हमला बोला है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कई दिग्गज कलाकारों का नाम लेकर लिखा है कि ऐसे लोगों ने मुंबई को अपने अभिनय और काम से संवारने का काम किया न कि पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर किया या खुद कांच के घर में रहकर दूसरों के घर पर पत्थर फेंका। शिवसेना ने कहा कि मुंबई पाक अधिकृत कश्मीर है कि नहीं, यह विवाद जिसने पैदा किया, उसी को मुबारक। सामना में यह भी लिखा गया है कि बालासाहेब ठाकरे ने दूसरे हाथ में स्वाभिमान की चिंगारी रखी। अगर किसी को ऐसा लग रहा होगा कि उस चिंगारी पर राख जम गई है तो वह एक बार फूंक मार कर देख ले।

शिवसेना ने बालासाहेब ठाकरे का जिक्र कर कहा कि शिवसेना प्रमुख हमेशा घोषित तौर पर कहते थे कि देश एक है और अखंड है। राष्ट्रीय एकता तो है ही लेकिन राष्ट्रीय एकता का ये तुनतुना हमेशा मुंबई-महाराष्ट्र के बारे में ही क्यों बजाया जाता है? राष्ट्रीय एकता की ये बात अन्य राज्यों के बारे में क्यों लागू नहीं होती? महाराष्ट्र में ही राष्ट्र है और महाराष्ट्र मरा तो राष्ट्र मरेगा। ऐसा हमारे सेनापति बापट ने कहा है। लेकिन विवाद खड़ा किया जाता है सिर्फ मुंबई को लेकर। इसमें एक प्रकार का राजनीतिक पेटदर्द है ही। मुंबई महाराष्ट्र की है और रहेगी। संविधान के जनक डॉ. आंबेडकर ने डंके की चोट पर ऐसा कहा है। 
फिल्मी सितारों का नाम लेकर शिवसेना ने लिखा कि  मुंबई का फिल्म उद्योग आज लाखों लोगों को रोजी-रोटी दे रहा है। वैसे कभी मराठी और कभी पंजाबी लोगों की ही चलती थी। लेकिन मधुबाला, मीना कुमारी, दिलीप कुमार और संजय खान जैसे दिग्गज मुसलमान कलाकारों ने पर्दे पर अपना हिंदू नाम ही रखा, क्योंकि उस समय यहां धर्म नहीं घुसा था। कला और अभिनय के सिक्के बजाए जा रहे थे। परिवारवाद का वर्चस्व आज भी है और पहले भी था। कपूर, रोशन, दत्त, शांताराम जैसे खानदान से अगली पीढ़ी आगे आई है लेकिन जिन लोगों ने अच्छा काम किया, वे टिके। मुंबई ने हमेशा केवल गुणवत्ता का गौरव किया। राजेश खन्ना किसी घराने के नहीं थे। जीतेंद्र और धर्मेंद्र भी नहीं थे। इनमें से हर किसी ने मुंबई को अपनी कर्मभूमि माना। मुंबई को बनाने और संवारने में योगदान दिया। पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं किया या खुद कांच के घर में रहकर दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका। जिन्होंने फेंका उन्हें मुंबई और महाराष्ट्र का श्राप लगा।