पांच महीने बाद भी किसानों को नहीं मिला गेहूं का पेमेंट

पांच महीने बाद भी किसानों को नहीं मिला गेहूं का पेमेंट

भोपाल। बैरसिया तहसील के लालूखेड़ी गांव के किसान गुलाब सिंह मीणा ने 448 क्विंटल गेहूं बेचने पर मिलने वाले पैसों से कुछ जमीन खरीदने के साथ ही घर की छत मरम्मत की तैयारी में थे, लेकिन गेहूं का पेमेंट पांच महीने बाद भी नहीं मिला है। इसके लिए हर हते सोहाया केंद्र पहुंचते हैं, लेकिन आज कल में पेमेंट का कह कर भगा दिया जाता है। इस बीच सोयाबीन की फसल भी इल्लियों ने चौपट कर दी है। ऐसे में सिर्फ गेहूं के पैसे का ही सहारा है, जिसके लिए बूढ़ा किसान बैरसिया से लेकर भोपाल तक एक दतर से दूसरे दतर चक्कर काट रहा है। दूसरी ओर इसी दरमियान पहले से चढे कर्ज पर 70 हजार रुपए का ब्याज और बढ़ गया है। यह सिर्फ एक किसान की दारुण दशा नहीं है, बल्कि समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने वाले हर उस किसान की है, जिसने खरीदी की तारीख बढ़ाए जाने के बाद गेहूं बेचा है। दरअसल अपेक्स बैंक और नान (नागरिक आपूर्ति निगम) के बीच चल रही रस्साकशी के नतीजे में किसानों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। अपेक्स बैंक का कहना है कि उसकी जिम्मेदारी खरीदी करने की थी। खरीदी केंद्रों से गेहूं का 72 घंटे में उठाव करके भुगतान नान को करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नतीजे में डेढ़ लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं का उठाव नहीं हो सका और इसमें से करीब 15 से 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं बारिश से खराब हो गया। दूसरी ओर, नान का तर्क है कि जो एफएक्यू-1 क्वॉलिटी का गेहूं उसके गोदामों तक पहुंच गया तो उसका ही पेमेंट किया जाएगा। जो गेहूं गोदामों तक नहीं पहुंचा या जो भीगने से खराब हो गया है, उसके लिए जिम्मेदार नहीं है।