मानसून अच्छा रहा तो भारत में खाद्य पदार्थों की महंगाई में आएगी कमी

मानसून अच्छा रहा तो भारत में खाद्य पदार्थों की महंगाई में आएगी कमी

नई दिल्ली। भीषण गर्मी के प्रकोप से पहले ही त्रस्त भारत खराब मानसून की मार नहीं झेल पाएगा और यह कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए त्रासदी साबित हो सकता है। विशेषज्ञों ने यह बात कही। साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त की कि मॉनसूनी बारिश के जोर पकड़ने से खाद्य पदार्थों की महंगाई में कमी आएगी और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी। देश में साल भर में जितनी बारिश होती है, उसमें से करीब 70 प्रतिशत मॉनसून के दौरान होती है। इससे 60 प्रतिशत तक बुवाई वाले क्षेत्र में फसल की सिंचाई होती है। लगभग आधी जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है।

पहले ही रबी की फसल हो चुकी है प्रभावित

खराब मानसून के चलते फसलों का खराब उत्पादन होता है और महंगाई बढ़ती है। भीषण गर्मी के कारण पहले ही रबी की फसल प्रभावित हो चुकी है, जिसके चलते सरकार को गेहूं के निर्यात पर रोक लगानी पड़ी और उत्पादन पूवार्नुमानों में लगभग 5 प्रतिशत की कटौती करने को मजबूर होना पड़ा। पहले 11.13 करोड़ टन उत्पादन का पूवार्नुमान लगाया गया था, जिसे अब 10.64 करोड़ टन कर दिया गया है। देश की खाद्य सुरक्षा के लिहाज से खराब मॉनसून के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। मौसम विभाग ने एक ओर जहां लगातार चौथे साल मॉनसून सामान्य रहने का पूवार्नुमान जताया है, वहीं दूसरी ओर जून की पहली छमाही में मॉनसून की धीमी गति के चलते धान जैसी फसलों की बुवाई में देरी के बारे में आशंका पैदा हो गई है।

पूर्वानुमान अच्छा बारिश गति पकड़ रही है: महापात्र

भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि पूर्वानुमान अच्छा है और बारिश गति पकड़ रही है। 23 जून के बाद उत्तर पश्चिम भारत में वर्षा में वृद्धि होगी। तीन से चार दिन में पश्चिम बंगाल, उत्तरी ओडिशा और इससे सटे बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बन जाएगा, जो भारत में गंगा के मैदानी इलाकों में हवा के पैटर्न को बदल देगा। उन्होंने कहा कि यह चक्रवाती परिसंचरण सामान्य पूर्वी प्रवाह की शुरुआत करेगा, जो उत्तर- पश्चिम भारत में मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के प्रधान वैज्ञानिक और प्रोफेसर विनोद सहगल ने कहा कि जून के अंत तक बारिश की कमी की भरपाई हो जाएगी।