गोंड पेंटिंग, लौहशिल्प और हैंडलूम साड़ी को जीआई टैग

गोंड पेंटिंग, लौहशिल्प और हैंडलूम साड़ी को जीआई टैग

भोपाल। प्रदेश के लिए खुशखबरी है। अभी मुरैना के गजक और रीवा के सुंदरजा आम को जीआई टैग मिला ही था कि अब प्रदेश की कई कलाकृतियों और संस्थाओं को जी आई टैग मिला है। मध्यप्रदेश का सुप्रसिद्ध शरबती गेंहू अब देश की बौद्धिक संपदा में सम्मिलित हो गया है। शरबती गेंहू सीहोर और विदिशा जिलों में उगाई जाने वाली गेंहू की एक क्षेत्रीय किस्म है, जिसके दानों में सुनहरी चमक होती है। शरबती गेंहू को जीआई टैग जारी किया गया है। प्रदेश की गोंड पेंटिंग को जीआई टैग पंजीकृत किया गया है। मानव के प्रकृति के साथ जुड़ाव दर्शाने वाली इस जनजातीय चित्रकला की प्रथा गोंड जनजाति में प्रचलित है। ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन को जीआई पंजीकृत किया गया है। इस कालीन बुनाई में चमकीले रंगों का उपयोग कर पशु, पक्षी और जंगल के दृश्यों का रूपांकन किया जाता है। ये कालीन ऊनी, सूती और रेशम आधारित होते हैं। डिंडोरी के अगरिया समुदाय के लोहशिल्प को जीआई टैग प्राप्त हुआ है। इस शिल्प में लोहे को गरम कर और पीट-पीटकर वांछित मोटाई और आकार के पारंपरिक औजार और सजावटी वस्तुएं बनाई जाती हैं।

जबलपुर का पत्थरशिल्प

जबलपुर का पत्थरशिल्प भेड़ाघाट में मिलने वाले संगमरमर पर केंद्रित है। इस हस्तशिल्प में भगवान की मूर्तियां, नक्काशीदार पैनल, सजावटी वस्तुएं और बर्तन बनाए जाते हैं। इसका निर्यात मुख्यत फ्रांस, आॅस्ट्रेलिया और अमेरिका में किया जाता है।

लोकप्रिय 16 हाथ की साड़ी

बालाघाट के वारासिवनी में बनने वाली हैंडलूम साड़ियों को जीआई टैग प्राप्त हुआ है। धारियों और चैक के जटिल पैटर्न में बनाई जाने वाली ये हल्की और महीन साड़ियां अपनी सादगी की लिए जानी जाती हैं। सोलह हाथ की साड़ी सर्वाधिक लोकप्रिय है जिसमें प्रत्येक ताना धागा 16 बाना धागों पर बुनाया जाता है।