आॅटो के लिए नए परमिट जारी करने से हाईकोर्ट ने किया इंकार

आॅटो के लिए नए परमिट जारी करने से हाईकोर्ट ने किया इंकार

जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट से आॅटो डीलर एसोसियेशन को फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है। शहरी क्षेत्र में आॅटो संचालन के नवीन परमिट जारी करने की मांग करते हुए आॅटो डीलर एसोसिएशन की ओर से दायर आवेदन पर चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने किसी प्रकार की राहत देने से इंकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है। गौरतलब है कि सतना बिल्डिंग निवासी अधिवक्ता सतीश वर्मा और नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायर इन याचिकाओं में कहा गया है कि शहर की सड़कों पर बेखौफ होकर चलने वाले आॅटो लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। ऐसे आॅटो न सिर्फ शहर की यातायात व्यवस्था चौपट करते हैं, बल्कि इस हद तक सवारियों को बैठाते हैं कि हमेशा उनकी जान का खतरा बना रहता है। शहर की सड़कों पर धमा चौकड़ी मचाने वाले आॅटो के संचालन को लेकर कई बार सवाल उठे, लेकिन जिला प्रशासन अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कदम उठा पाने में नाकाम रहा है।

रजिस्ट्रेशन पर रोक के बावजूद बिक गए 6 हजार आॅटो

हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2019 को नियमों का उल्लंघन करने वाले आॅटो के खिलाफ कार्रवाई करने, संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने और स्मार्ट कार्ड रीडर की खरीदी की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश सरकार को दिए थे। सुनवाई के दौरान आॅटो डीलर एसोसियेशन की ओर से कहा गया कि 9 जनवरी 2019 को हाईकोर्ट ने आॅटो के नए रजिस्ट्रेशनों पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से विभिन्न शासकीय योजनाओं के तहत करीब 6 सौ आॅटो लोन के आधार पर बेचे जा चुके हैं। अवैध आॅटो के कारण वैध आॅटो का संचालन शहर में नहीं हो पा रहा, जो अवैधानिक है।

10 हजार सड़क पर, 5 हजार हैं वैध

रजिस्ट्रेशन न होने के कारण लोन पर लिए गए आॅटो खड़े हुए हैं और उनके मालिक किश्त भी नहीं चुका पा रहे हैं। सरकार खुद मान रही है कि शहर में करीब दस हजार आॅटो चल रहे हैं, जिनमें से सिर्फ 5 हजार के करीब ही वैध हैं। अवैध आॅटो के खिलाफ कार्रवाई तो की जाती है, लेकिन वो जुर्माना देकर छूट जाते हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सतीश वर्मा व डीलर एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पक्ष रखा।