जनजातीय संग्रहालय में बन रहे मप्र की 7 जनजातियों के आवास, तीन बनकर तैयार

जनजातीय संग्रहालय में बन रहे मप्र की 7 जनजातियों के आवास, तीन बनकर तैयार

जनजाती समुदाय की जीवन शैली को समझने और उसे करीब से देखने के लिए राजधानी भोपाल में स्थित मध्यप्रदेश के सात आवास जनजातीय संग्रहालय में बनाए जा रहे हैं। इन घरों में देश की प्रमुख जनजातियों के परिवार भी रह सकेंगे। बाद में रोटेशन के आधार पर दूसरी जनजातियों के परिवार इन आवासों में रहने के लिए आते रहेंगे। इस संदर्भ में क्यूरेटर अशोक मिश्रा ने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य जनजातीय समाज के प्रति हमारे समाज में उनके रहन- सहन समझाना भी है। इस उपक्रम से शहरी समाज व युवाओं को देश के जनजाति समाज को जानने और समझने का मौका मिलेगा। उन्होंने बताया कि इन आवासों में जनजातीय समुदायों के व्यंजन और उनकी कला को देखने का अवसर भी मिलेगा। फिलहाल इन सात आवासों में भारिया, सहरिया, बैगा, गोंड और भील आदि जनजाति के परिवार रहेंगे। इसके बाद प्रदेश व देश के अन्य जनजाति परिवार इसमें रहने के लिए आएंगे। फिलहाल तीन मकान बनकर तैयार हो चुके हैं।

यह है खास जनजाति घरों की विशेषताएं

1 कोरकू जनजाति के घर पत्थर की बनी चक्की से पहचाना जाता है। घर की दीवार के पर सफेद और गेरू रंग से गोदनी चित्रकारी की जाती है।

2 कोल जनजाति के घरों के दरवाजों, खाट में छकड़ी डिजाइन की जाती है। यह डिजाइन ही इन घरों की पहचान होती है ।

3 बैगा जनजाति का घर बांस की टाट पर मिट्टी और भूसे से छपाई की जाती है। यह बैगा जनजाति के घरों की पहचान होती है।

4 गोंड जनजाति घरों के दरवाजों और खिड़की पर डिगना डिजाइन होती है। इनमें बारीक नक्काशी की जाती है और दरवाजे दो पैनल के होते हैं। दीवारों पर सफेद मिट्टी से पुताई कर उसमें फूल, पत्ती को भी प्रमुखता से उकेरा जाता है। अनाज रखने के लिए कुडिया और आंगन में बड़ा देव की स्थापना की जाती है।

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत देखेंगे

मानव संग्रहालय में सभी राज्यों और आठ केंद्रशासित प्रदेशों में बंटे इस देश में निवासरत समुदायों को उनके द्वारा बोली जाने वाली भाषा, उनके निवास स्थल, खान-पान, वेशभूषा, प्रथाओं, सामाजिक संगठनों और जीवन शैली के नाम से सम्बोधित किया और पहचाना जाता है। देश की इसी विविधता में एकता को समारोहित करने, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्रथाओं और परंपराओं का प्रदर्शन करने और साझेदारी विकसित करने जिससे कि भारत की मूल आत्मा को महसूस किया जा सकेगा। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा भारत के लोग नामक एक प्रदर्शनी श्रंखला का आयोजन किया जा रहा है। इस श्रृंखला के अंतर्गत संग्रहालय द्वारा समस्त भारत के लोक और जनजातीय समुदायों के मध्य संकलित और प्रलेखित वस्तुओं को प्रस्तुत किया जाएगा।