भारतीय संस्कृति का दिग्दर्शन करने के लिए साहित्य ही सशक्त माध्यम है

भारतीय संस्कृति का दिग्दर्शन करने के लिए साहित्य ही सशक्त माध्यम है

जिस हिंदू ने नभ में जाकर नक्षत्रों को दी है संज्ञा, जिसने हिमगिर का वक्ष चीर भू को दी है पावन गंगा... कविता की पंक्तियों के साथ संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि इसी कविता ने मुझे जीवन में प्रेरणा देने का काम किया है। वे साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित अलंकरण समारोह में संबोधित कर रही थीं, जिसका आयोजन रवींद्र भवन में किया गया। इस मौके पर प्रमुख सचिव संस्कृति शिव शेखर शुक्ला, संचालक संस्कृति अदिति त्रिपाठी, साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे विशेष रूप से मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में कुल 60 साहित्यकारों को प्रादेशिक पुरस्कार, 52 को अखिल भारतीय पुरस्कार एवं 9 को बोलियों के पुरस्कार दिए गए। सुश्री ठाकुर ने कहा कि भारतीय संस्कृति का दिग्दर्शन करना है तो साहित्य ही उसका सशक्त माध्यम है। कविताओं में जीवन को लक्ष्य देने की ताकत है। इस मौके पर बॉलीवुड एक्टर और कवि आशुतोष राणा को उनके उपन्यास रामराज्य के लिए अखिल भारतीय राजा वीर सिंह देव पुरस्कार दिया गया। इस मौके पर बुंदेली छत्रसाल पुरस्कार भोपाल की डॉ. मीनू पांडेय, राजेंद्र अनुरागी पुरस्कार ब्रजेश राजपूत, पंडित बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुरस्कार सीमा शर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार गोकुल सोनी, नारद मुनि पुरस्कार फेसबुक, ब्लॉग के लिए लोकेंद्र सिंह को दिया गया।

50 साल से कर रहे साहित्य साधना

आचार्य देवेन्द्र ‘देव’ को उनकी रचना हठयोगी नचिकेता (कविता) के लिए अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार दिया गया। उन्होंने कहा कि 55 वर्षों से शब्द साधना में 20 महाकाव्य दिए हैं और इसके लिए मेरा नाम गोल्डन बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। कांति शुक्ला ‘उर्मि’ को उनकी रचना कल्पना के उग आए पंख के लिए पं. भवानी प्रसाद मिश्र पुरस्कार दिया गया। वे भी 50 साल से लेखन कर रहीं हैं।