‘मलखंब में’ छोटे से लेकर बड़े खिलाड़ी तक दिखा रहे अपना जौहर

‘मलखंब में’ छोटे से लेकर बड़े खिलाड़ी तक दिखा रहे अपना जौहर

जबलपुर । बदलते परिवेश के साथ खेलों में भी काफी बदलाव हुए हैं। क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी के बीच अब एक नया खेल उभर रहा है, जिसका हर कोई दीवाना हो रहा है। इस खेल का नाम है मलखंब जिसमें छोटे-बड़े सभी के लिए है और जो भी यह खेल खेल सकता है वह अन्य खेलों में ज्यादा कोई दिक्कत नहीं होती है,क्योंकि मलखंब से शरीर का बाहरी और आंतरिक हिस्सा पूरी तरह से एक्सरसाइज हो जाता है। दरअसल मलखंब को केंद्र और राज्य सरकार की उदासीनता के चलते इस खेल को आज तक वह ऊंचाई नहीं मिल पाई है, जिसका यह हकदार है। मलखंब ना सिर्फ भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपने झंडे गाड़े हैं। हालांकि वर्ष 2013 में मलखंब को राज्य सरकार ने खेल का दर्जा दिया है। यहां पर मलखंब के खेल को संवारने का काम युवा प्रशिक्षक विनोद कुमार कर रहे हैं। खेल-युवा कल्याण विभाग की तरफ से पदस्थ विनोद कुमार आज बड़े और बच्चों को मलखंब की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इनके प्रशिक्षित छात्र जिला एवं प्रदेश स्तर पर अपना कौशल प्रदर्शन कर जबलपुर और प्रदेश का नाम भी रोशन कर रहे हैं।

7 साल की माही भी हो गई परफेक्ट

दरअसल माही जिसकी उम्र महज 7 साल की है,करतब दिखाते खिलाड़ी इतनी छोटी उम्र में ही मलखंब की कला विद्या में इतनी परफेक्ट खिलाड़ी हो गई है, कि अब वह चाहे पोल मलखंब हो या फिर रोप मलखंब इन तमाम तरह के खेलों में निपुण हो गई है। रोप मलखंब और पोल मलखंब में जबलपुर के लिए 7 साल की माही ने उज्जैन, इंदौर, देवास में अपना जौहर दिखाया है और बाकायदा वह इसमें सफल भी हुई है।

यहां हैं मलखंब के 14 केंद्र

प्रदेश में मलखंब के 14 केंद्र बनाए गए है, यह केंद्र इंदौर, खरगोन, उज्जैन, बैतूल, दतिया, पन्ना, रतलाम, शाजापुर, शिवपुरी, ग्वालियर, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर एवं जबलपुर में संचालित हों रहा है। मलखंब भारत का एक पारंपरिक खेल है, जिसमें खिलाड़ी लकड़ी के ऊपर तरह-तरह के करतब दिखाते हैं।