समिति गठन से ही दो गुटों में हुआ सदस्यों का विभाजन

समिति गठन से ही दो गुटों में हुआ सदस्यों का विभाजन

जबलपुर। जिले के लावारिस बच्चों को पुनर्वास कर उनको जीवन की मुख्य धारा से जोड़ने के उद्देश्य से काम करने वाली बाल कल्याण समिति में गुटबाजी इतनी हावी हो गई है, कि अभिभावक भी अब बच्चों से मिलने घंटो परेशान होते हैं। दरअसल, समिति को कोरम यानी अध्यक्ष सहित चार सदस्यों की नियुक्ति एक साल पहले हुई है। लेकिन बीते एक साल के कार्यकाल में समिति आश्रय गृहों के निरीक्षण तक सीमिति है। वहीं बालक बालिका आश्रय गृह में रह रहे बच्चों से मिलने या हेंडओवर करने के निर्णय में सदस्यों के बीच की गुटबाजी का असर बच्चों के भविष्य संबंधी निर्णय पर पड़ रहा है।

जिम्मेदार मौन

बाल कल्याण समिति गठन को एक साल बीत चुका है। तब से लेकर आज तक सदस्यों और अध्यक्षों के बीच नोंक झोंक बनी हुई है। महिला बाल विकास विभाग के अंतर्गत गठित समिति के जिम्मेदार भी इसको लेकर मौन हैं। सूत्रों की मानें तो इसी नोंक झोंक के कारण कई महत्वपूर्ण मामलों में समिति को निर्णय लेने में ही एक सप्ताह का समय लग जाता है।

समिति के महत्वपूर्ण कार्य

  • बच्चों की सुरक्षा एवं कल्याण से जुड़े सभी मुद्दे
  • आश्रय गृह में निवासरत बच्चों की स्थिति की जांच करना
  • गुमशुदा बच्चों को देखरेख संरक्षण में लेना

बच्चों से संबंधित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर रोजाना सुनवाई और बैठक आयोजित हो रही है। हां ये सही है कि कुछ मामलों में समिति सदस्यों के बीच कुछ बहस हो जाती है। - माया पांडे, सदस्य, बाल कल्याण समिति