बांसुरी की तान के साथ पखावज की जुगलबंदी, ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती से किया भावविभोर

बांसुरी की तान के साथ पखावज की जुगलबंदी, ‘ओम जय जगदीश हरे’ आरती से किया भावविभोर

भारत भवन की 41वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश के प्रख्यात बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया प्रस्तुति देने पहुंचे जिन्हें सुनने के लिए अंतरंग सभागार खचाखच भरा रहा और बाहर तक दर्शक बैठे रहे। पंडित जी ने अपनी प्रस्तुति कुर्सी पर बैठकर दी और सबसे पहले अपने संगत कलाकारों से श्रोताओं का परिचय कराया जिसमें पखावज पर पंडित भवानी शंकर, तबले पर ओजस अड़िया, बांसुरी देबोप्रिया, वैष्णवी और तानपूरे पर धानी गुंदेचा ने साथ दिया। पंडितजी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में श्रोताओं के साथ जुड़ने के लिए कुछ चुटकियां लीं, उन्होंने कहा कि मैं सबसे ज्यादा अपने पखावज वादक पंडित भवानी शंकरजी से डरता हूं। 84 वर्षीय बांसुरीवादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया ने अपने परममित्र संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा को याद करते हुए कहा कि हमारी प्रस्तुति पिछले साल इसी सभागार में होने वाली थी, लेकिन वो साथ छोड़ गए।

स्वरों के उतार-चढ़ाव में डूबे श्रोता

अपनी बात पूरी करने के बाद पंडितजी ने सभागार में मौजूद संगीत अनुरागी दर्शकों को सांगीतिक सभा का रसपान कराया। पहली प्रस्तुति में पंडित भवानी शंकर के साथ जुगलबंदी पेश की जिसमें उनका साथ उनकी दो शिष्याओं ने बांसुरी वादन करते हुए दिया। फिर उन्होंने राग यमन में प्रस्तुति दी। इसके बाद उन्होंने तबला वादक ओजस के साथ जुगलबंदी पेश की। इसके बाद आखिर में ओम जय जगदीश हरे...आरती बांसुरी पर सुनाईं तो श्रोता आंखें मूंदे हुए इस धुन को अपने हृदय में उतार लेना चाहते थे।