पक्षियों के मनोविज्ञान के साथ प्रदूषण का संकट दिखाया

पक्षियों के मनोविज्ञान के साथ प्रदूषण का संकट दिखाया

 गुरुपर्व पर रंग श्री लिटिल बैले ट्रुप ने अपने गुरुओं शांतिबर्धन, प्रभात गांगुली और गुलबर्धन को गुरुदक्षिणा के रूप में नृत्य नाटिका जीवनधारा का मंचन कर उन्हें याद किया। नृत्य संरचना और कोरियोग्राफी छाऊ के ख्यात निर्देशक वंशधर आचार्य ने की और आलेख संगीत नाटक अकादमी अवॉर्डी डॉ. अंजना पुरी का रहा।

छाऊ व आधुनिक नृत्य का समावेश

इसमें दिखाया गया कि हमारी जीवनशैली बदल गई है। दुर्भाग्य से मनुष्य ही अपनी असीमित लालसाओं के कारण इसका विनाशक बन गया है। जीव-जतुंओं और परिंदों के जीवन पर खतरा मंडराने लगा है और कई तो विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके हैं। बैले जीवनधारा विभिन्न वर्णी चिड़ियों के माध्यम से पर्यावरणीय संकट को दिखाता है। डॉ. अंजना पुरी ने अपने मंच आलेख और संवेदनशील संगीत के द्वारा जटिल समस्याओं को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। रंगश्री लिटिल बैले के कलाकारों ने पक्षियों के मनोविज्ञान, बॉडी मूवमेंट द्वारा आकर्षक रंग-बिरंगा रूप दिया। पक्षियों का रंगीन पंखों वाला पहनावा बैले में खास प्रभाव छोड़ रहा था। छाऊ और आधुनिक नृत्य शैली का समावेश नृत्य में विशेष रहा।