राजनीति की नब्ज पर गहरी पकड़ थी

राजनीति की नब्ज पर गहरी पकड़ थी

नई  दिल्ली । पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राजनीति के उन गिने-चुने नेताओं में से हैं, जिनका सम्मान सभी दलों के सदस्य करते हैं। देश की राजनीति में उनके योगदान को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार ने पिछले साल उन्हें भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया था। बता दें, कि प्रवण दा राजनीति में आने से पहले अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद कोलकाता में ही पोस्ट एंड टेलिग्राफ विभाग में अपर डिविजन क्लर्क थे। प्रणब दा ने 1963 में प. बंगाल के 24 परगना जिले में स्थित विद्यानगर कॉलेज में कुछ समय के लिए राजनीति शास्त्र भी पढ़ाया था। उन्होंने कुछ समय के लिए ‘देशेर डाक’ नामक समाचार पत्र में एक पत्रकार के रूप में भी काम किया।

चलते-फिरते ‘इनसाइक्लोपीडिया’ थे प्रणब दा 

भारतीय राजनीति की नब्ज पर गहरी पकड़ रखने वाले प्रणव दा को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाएगा, जो देश के प्रधानमंत्री हो सकते थे, लेकिन अंतत: उनका राजनीतिक सफर राष्ट्रपति भवन तक पहुंच कर संपन्न हुआ। धरती पुत्र प्रणव मुखर्जी के राजनीतिक जीवन में एक समय ऐसा भी आया था, जब कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ते हुए वह इस शीर्ष पद के बहुत करीब पहुंच चुके थे, लेकिन उनकी किस्मत में देश के प्रथम नागरिक के तौर पर उनका नाम लिखा जाना लिखा था। प. बंगाल में जन्मे इस राजनीतिज्ञ के नाम कई ऐसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं, जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती हैं। वह चलते फिरते इनसाइक्लोपीडिया थे और हर कोई उनकी याददाश्त क्षमता, तीक्ष्ण बुद्धि और मुद्दों की गहरी समझ का मुरीद था। साल 1982 में वे भारत के सबसे युवा वित्त मंत्री बने। तब वह 47 साल के थे। आगे चलकर उन्होंने विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त व वाणिज्य मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।

 परिजनों के प्रति संवेदना

अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और काम के साथ ही हमेशा गरिमा एवं सौम्यता बनाए रखी। उनके परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं, ओम शांति। - वेंकैया नायडू, उपराष्ट्रपति

देश के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी एक कुशल राजनीतिज्ञ, सरल व्यक्तित्व के धनी होकर दूरदृष्टि इरादों वाले व्यक्ति थे। परिवार के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणो में स्थान दें। - कमलनाथ, पूर्व सीएम, मप्र