संक्रमित मां के दूध से मरीजों को बचाने की तैयारी, आइस क्यूब बनाकर दिए जाएंगे

संक्रमित मां के दूध से मरीजों को बचाने की तैयारी, आइस क्यूब बनाकर दिए जाएंगे

एम्सटर्डम। कोरोना के इलाज के विकल्प खोजने के क्रम में वैज्ञानिकों को मां के दूध यानी ब्रेस्ट मिल्क में उम्मीद दिखी है। संक्रमित होकर ठीक हो चुकीं महिलाओं के दूध में एंटीबॉडी मिलने के बाद वैज्ञानिक इस दिशा में शोधरत हैं कि ब्रेस्ट मिल्क से कोरोना मरीजों को ठीक किया जाए। कोरोना मरीजों को बचाने के लिए अब मां के दूध का सहारा लिया जाएगा। कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुकीं 30 महिलाओं के दूध में कोरोना वायरस के प्रति एंटीबॉडी पाए जाने के बाद डच वैज्ञानिकों को उम्मीद नजर आई है। उनकी योजना है कि प्लाज्मा थैरेपी की तरह मां के दूध का इस्तेमाल कर पॉजिटिव मरीजों में वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा पैदा की जाए और उनकी जान बचाई जाए।  यह अध्ययन नीदरलैंड स्थित एमा चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल और अन्य अस्पतालों के संयुक्त सहयोग से किया गया। 

आइस क्यूब मरीजों को दिए जाएंगे:
शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमित मां के दूध का आइस क्यूब यानी बर्फ के टुकड़े बनाकर मरीजों को चूसने के लिए दिए जाए तो उनमें ज्यादा इम्यूनिटी बनेगी। डच ब्रेस्ट मिल्क बैंक के प्रमुख और इस अध्ययन के शोधकर्ता व्रिट सैम कहते हैं कि इस तरह तैयार आइस क्यूब चूसने से मरीजों के शरीर में मौजूद सभी म्यूकस मेंबरेंस में एंटीबॉडी पहुंच जाएगी।
बुजुर्गों को भी होगा लाभ :
 शोधकर्ता ब्रिट वैन कुलेन का कहना है कि घर में रहकर कोरोना का इलाज करा रहे बुजुर्गों को ये आइस क्यूब देने से बहुत लाभ होगा। साथ ही वे लोग भी लाभान्वित होंगे, जो कोरोना वायरस के उच्च जोखिम वाले समूह में आते हैं। 
 
 पांच हजार महिलाएं दूध दान करेंगी
वैज्ञानिकों ने अपील की है कि पॉजिटिव और स्वस्थ हो चुकीं शिशुवती महिलाएं 100-100 मिलीग्राम दूध दान करें, ताकि दूध के महत्व पर और ज्यादा शोध अध्ययन हो सके। दूध दान करने के लिए करीब पांच हजार महिलाएं आगे आई हैं।