चीन के दोस्त किम जोंग उन को साधने में जुटा भारत, रामनाथ कोविंद ने लिखा पत्र

चीन के दोस्त किम जोंग उन को साधने में जुटा भारत, रामनाथ कोविंद ने लिखा पत्र

प्योंगयांग। लद्दाख में चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत अब ड्रैगन के करीबी मित्र व उत्तर कोरिया के सैन्य तानाशाह किम जोंग उन को साधने में जुट गया है। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तर कोरिया के 72वें स्थापना दिवस पर बधाई संदेश भेजा है। राष्ट्रपति कोविद ने यह पत्र किम जोंग उन को लिखा है। इस पत्र को भारत के उत्तर कोरिया में राजदूत अतुल एम गोतसर्वे ने उत्तर कोरिया के उप-विदेश मंत्री को सौंपा। इससे पहले भारत के राजदूत ने किम जोंग उन को बधाई संदेश दिया था, जो देश में चर्चा का विषय बन गया था। भारतीय राजदूत के संदेश को न केवल उत्तर कोरिया के सरकारी अखबार में जगह दी गई, बल्कि टीवी पर भी उसका प्रसारण किया गया। बताया जा रहा है कि दुनिया से कटे उत्तर कोरिया में ऐसा बहुत कम होता है कि किसी विदेशी राजनयिक के संदेश को इतनी तवज्जो दी गई हो। भारतीय राजदूत के संदेश को पढ़ा गया: बताया जा रहा है कि उत्तर कोरिया के सरकारी टीवी चैनल नेशनल टेलीवजिन ऑफ नॉर्थ कोरिया पर प्राइम टाइम में न केवल भारत का जिक्र हुआ, बल्कि भारतीय राजदूत के संदेश को पढ़ा गया। भारतीय राजदूत अतुल एम गोतसर्वे ने किम जोंग उन को मार्शल बनाए जाने के 8 साल पूरे होने पर उन्हें बधाई संदेश भेजा था। साथ ही फूलों का गुलदस्ता भेजा था। इस पर किम जोंग उन के स्वस्थ रहने की कामना की गई थी। नॉर्थ कोरिया को 10 लाख डॉलर की मेडिकल सहायता इससे पहले भारत ने कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए नॉर्थ कोरिया को 10 लाख डॉलर की मेडिकल सहायता भी भेजी थी। ऐसा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन से मिले अनुरोध के बाद किया गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत, उत्तर कोरिया में मेडिकल उपकरणों की कमी और वहां के हालात के प्रति संवेदनशील है और उसने टीबी की दवा के रूप में 10 लाख डॉलर की मानवीय सहायता प्रदान करने का फैसला लिया।

सरकारी अखबार में प्रमुखता से प्रकाशित

भारतीय राजदूत के बधाई संदेश को उत्तर कोरिया के सरकारी अखबार रोडोंग सनिमुन में भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। यह अखबार उत्तर कोरिया के आधिकारिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। बता दें कि कोरियाई प्रायद्वीप में शांति की स्थापना के लिए भारत ने लंबे समय से बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोरियाई युद्ध के समय भारत के एंबुलेंस यूनिट ने 2 लाख 20 हजार लोगों का इलाज किया था।