जनेकृविवि को चना, अलसी और विसिया फसलों की नई प्रजातियां विकसित करने में मिली बड़ी सफलता
जबलपुर । जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि को चना, अलसी और विसिया फसलों की नई प्रजातियाँ विकसित करने में बड़ी सफलता हाथ लगी है, इतना ही नहीं केन्द्रीय उप समिति,कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न फसलों की तीन प्रजातियों को राष्ट्रीय स्तर पर अधिसूचना एवं विमोचन के लिए अनुमोदित भी कर दिया है। यह अनुमोदन केन्द्रीय उपसमिति की 84 वीं बैठक में डा. टीआर शर्मा, उप महानिदेशक , भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी द्वारा किया गया है। चना- मध्यप्रदेश महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए अनुषंसित की गई है। इस प्रजाति का पौधा कम फैलाव लिए हुए ऊॅचाई 60 सेंमी. से अधिक, घेंटियॉ पौधे में ऊपर की ओर पाई जाती हैं। यॉत्रिक कटाई में दानों का टूटना कम पाया गया है, पकने की अवधि 110-115 दिन एवं औसत उपज 20-25 क्विंटल र्प्रति हेक्टेयर प्राप्त कर सकते हैं। अलसी- जम्मू-काश्मीर, हिमाचल प्रदेष, उत्तराखण्ड, पंजाब एवं हरियाणा के लिये अनुशंसित की गई है। इस प्रजाति में तेल की उपज 454 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जो कि पूर्व में विकसित किस्मों की तुलना में लगभग 15-19 प्रतिषत अधिक है। यह फसल 160-170 दिन में पककर तैयार हो जाती है एंव उपज क्षमता 21-22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। विसिया-यह चारा वर्गीय फसल है जो कि उत्तर प्रदेष, मध्यप्रदेष, छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के लिये अनुशंसित की गई है। यह दलहनी चारे की रबी मौसम में ऊगाई जाने वाली प्रजाति है। इसके हरे चारे की उपज क्षमता 240-250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा सूखे चारे की मात्रा 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं प्रोटीन की मात्रा 14-15 प्रतिषत रहती है। यह फसल 90-95 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस राष्ट्रीय उपलब्धि पर कुलपति डा. प्रदीप कुमार बिसेन एंव संचालक अनुसंधान सेवाएं डा. पीके मिश्रा ने वैज्ञानिकों को बधाई दी एवं उच्च अनुसंधान का स्तर बनाये रखने की कामना की है।