लॉकडाउन की अवधि में बढ़ा तनाव, जॉब इंसिक्योरिटी सबसे बड़ा कारण

लॉकडाउन की अवधि में बढ़ा तनाव, जॉब इंसिक्योरिटी सबसे बड़ा कारण

भोपाल। लॉकडाउन के 71 दिन समस्याओं के साथसाथ गहरा अवसाद लेकर आए। मनोचिकित्सकों से संस्था इंडियन साइकेट्रिक सोसायटी के मुताबिक लॉकडाउन के सिर्फ 15 दिन में तनाव में 20% वृद्धि हुई। सटीक आकलन के लिए संस्था ऑनलाइन सर्वे कर रही है। लॉकडाउन के दौरान भोपाल में ही आत्महत्या के 60 मामले आए, वहीं अनलॉक के शुरुआती 28 दिन में 41 मामले आए। इनमें बड़ी संख्या 20 से 55 साल तक के लोग हैं। उनमें भी 25 से 35 वर्ष वाले ज्यादा। लॉकडाउन में तनाव की वजह जॉब की इंसिक्योरिटी रही। गूगल के अनुसार भारत में अन्य देशों के मुकाबले लोग जॉब कीवर्ड ज्यादा सर्च हो रहे हैं।

भोपाल में हर साल 400 लोग करते हैं खुदकुशी

स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा दो साल पहले जारी आंकड़ों के अनुसार मप्र टॉप 5 राज्यों में था, जहां बेरोजगारी के कारण युवा आत्महत्या कर रहे हैं। रिपोर्ट में मप्र में आत्महत्या का सालाना आंकड़ा 10 हजार के करीब था और भोपाल 468 केसेस के साथ मप्र में चौथे नंबर पर था। गवर्नमेंट काउंसलर और लॉकडाउन में डिप्रेशन के मुद्दे पर काम कर रहीं दिव्या दुबे मिश्रा के मुताबिक भोपाल में औसत 400 लोग हर साल खुदकुशी करते हैं।

डिप्रेशन में भारत तीसरे नंबर पर, यूएस-चीन आगे

* जॉब इंसिक्योरिटी, आर्थिक समस्या व कर्ज, अकेलापन, नशे से उपजा अवसाद, रिश्तों का तालमेल बिगड़ना ।

* यजामा साइकियाटरी में छपे रिसर्च के अनुसार गरीब, विकासशील देशों में धार्मिक गतिविधियों से लोग सर्वाधिक अच्छा महसूस करते हैं, इसके बाद आउटिंग का नंबर आता है। लॉकडाउन में यह नहीं हो पाया।

* ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सर्वे के मुताबिक 20%से अधिक लोग जिंदगी के किसी न किसी पड़ाव पर डिप्रेशन का जरूर सामना करते हैं। वहीं विश्वभर में लॉकडाउन के दौरान 50 फीसद पीड़ितों को डिप्रेशनरोधी दवाओं, मनोवैज्ञानिक इलाज से राहत नहीं मिली।

* भारत में हर 20 लोगों में एक व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अमेरिका -चीन के बाद भारत, डिप्रेशन से पीड़ित तीसरा बड़ा देश है।

* डब्ल्यूएचओ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 45 करोड़ लोग हैं जो इस वक्त ऐसी ही किसी मानसिक बीमारी से लड़ रहे हैं। डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या होती है और दुनिया में हर वर्ष करीब 8 लाख लोग इस वजह से खुद की जान ले लेते हैं। यानी हर चालीस सेकंड में एक व्यक्ति अपनी जान लेता है।