हाईकोर्ट ने जमीन का नामांतरण दूसरे के नाम पर करने के आदेश को किया निरस्त
ग्वालियर। हाईकोर्ट ने नायब तहसीलदार सिरोंज जिला विदिशा के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें वसीयत के आधार पर 3.960 हेक्टेयर जमीन का नामांतरण दूसरे के नाम कर दिया था। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि विवादित वसीयत का नामांतरण राजस्व अधिकारी के बजाए इसके लिए जिले के कलेक्टरों को निर्देशित किया जाए। सिरोंज में दुर्गाशंकर की 3.960 हेक्टेयर भूमि थी। पांच जून 1999 को दुर्गाशंकर की मौत के बाद सीताराम ने एक वसीयत सिरोंज सर्कल के नायब तहसीलदार के यहां पेश की। उसमें बताया कि दुर्गाशंकर ने अपनी जमीन वसीयत के माध्यम से उसके नाम कर दी है।
नायब तहसीलदार ने दुर्गाशंकर के वारिसों के संबंध में कोई पड़ताल नहीं की और न नोटिस भेजे। दुर्गाशंकर की पत्नी, पुत्र झालावाड़ में निवास कर रहे थे। दुर्गाशंकर की पत्नी व पुत्र को जमीन के नामांतरण की जानकारी मिली तो उन्होंने नायब तहसीलदार के यहां आवेदन पेश किया। तहसीलदार ने इसे खारिज कर दिया। कलेक्टर ने भी अपील को खारिज कर दी। अपील खारिज करने के पीछे तर्क दिया कि देर से दायर की गई। इसके बाद दुर्गाशंकर की पत्नी गीता, पुत्र सत्येंद्र कुमार, पुत्री संध्या, शशि, वंदना ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
94 लाख गबन के मामले में टैक्स चोरी की जांच के आदेश
हाईकोर्ट ने हजीरा थाने के उस केस के अनुसंधान पर रोक लगा दी, जिसमें गया प्रसाद अरजरिया व मनीष अरजरिया ने अपने मैनेजर पर 94 लाख रुपए के गबन का आरोप लगाया था। कोर्ट ने कहा कि टैक्स चोरी व मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए इस ंिबदु पर भी जांच की जानी चाहिए। असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल को निर्देश किया है कि इस मामले को संज्ञान में लिया जाए। हजीरा थाने में अमित समाधिया पर 2022 में 94 लाख रुपए के गबन का केस दर्ज किया गया। उसने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पेश की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बीके शर्मा ने तर्क दिया कि अमित शर्मा शिकायतकर्ता की कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत था।