जेडीए के हाट बाजार की 240 दुकानें तक रहीं लेने वालों की राह

जेडीए के हाट बाजार की 240 दुकानें तक रहीं लेने वालों की राह

जबलपुर । वर्ष 2006 में जबलपुर विकास प्राधिकरण ने अपने 25 साल पूरे होने पर विजय नगर में हाट बाजार का निर्माण करवाया था। यहां पर 240 दुकानें बनाई गर्इं जिनमें कुछ शासकीय कार्यालयों के लिए बड़े परिसर भी थे। यहां पर कुछ शासकीय कार्यालय भी खोले गए मगर वे समय रहते अन्यत्र स्थानांतरित हो गए। यहां पर ज्यादातर दुकानें खाली पड़ी हैं और झाड़-झंकाड़,गंदगी का साम्राज्य है। जिन दुकानदारों ने यहां पर दुकानें खरीदी थीं ग्राहकों का तोड़ा होने से अपनी दुकानें दूसरे दुकानदारों को बेचकर शहर के दूसरे हिस्सों में अपना व्यापार करने लगे हैं। जो यहां पर व्यवसाय कर भी रहे हैं वे पछता रहे हैं कि कहां फंस गए। न तो यहां पर कभी नगर निगम के कर्मचारियों के द्वारा सफाई करवाई जाती है और न ही अन्य व्यवस्थाएं करवाई जाती हैं।

नहीं दिया जिम्मेदारों ने ध्यान

रहवासियों को एक ही जगह पर सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाते हुए सभी तरह की दुकानें उपलब्ध करवाने के लिए जेडीए ने यहां पर बड़ी संख्या में दुकानें तो बनवा दीं मगर बाद में जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते यहां वीराना कायम है। व्यापारियों को यहां लाने के लिए जोर-शोर से प्रचार-प्रसार भी किया गया था। जिसके चलते कुछ दुकानदारों ने यहां पर दुकानें ले भी ली थीं।

असामाजिक तत्वों का जमावड़ा

वीराना और माकूल जगह देखकर यहां पर असामाजिक तत्वों ने डेरा डाल लिया है। यहां दुकानों के बिजली के मीटर तक चोरी जा चुके हैं साथ ही जो कुछ भी चोर ले जा सकते थे ले गए हैं। शाम होते ही असामाजिक तत्वों का जमघट यहां रोजाना की बात है।

10 फीसदी ही दुकानें खुलीं

यहां पर बनीं 240 दुकानों में से 10 फीसदी दुकानें ही वर्तमान समय में आबाद दिखती हैं बाकी पर ताले लटके हुए हैं। यहां पर 2006 से वर्तमान 2020 तक किसी ने भी दुकानें खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। समय-समय पर जेडीए ने अपनी बाकी बची दुकानों को बेचने में कई तरह की योजनाएं बनाकर विक्रय करना चाहा मगर वे सफल नहीं हो पाए।

मेन गेट पर चौपहिया वाहनों का डेरा

यहां मुख्य द्वार पर दर्जनों खराब चौपहिया वाहन खड़े नजर आते हैं। ये वाहन आसपास के मैकेनिकों द्वारा सुधार के लिए लाए जाते हैं और कई-कई दिनों तक यहां खड़े रहते हैं। कुछ समय पहले नगर निगम ने वाहन हटाने मुहिम चलाई थी जो कि कुछ दिन ही चलकर बंद हो गई। अब फिर यहां पर वाहनों का जमावड़ा बना रहता है।

कार्यालय खुले और बंद हो गए

यहां पर जब दुकानें नहीं बिकीं तो विद्युत कार्यालय,रजिस्ट्री कार्यालय सहित अन्य कुछ और शासकीय कार्यालय खोले गए। कुछ समय तक यहां पर इन कार्यालयों का संचालन हुआ और बाद में ये सभी अन्यत्र स्थानांतरित हो गए। इसके कारण भी यह हाट बाजार आबाद नहीं हो सका।