सालों की जगह महीनों में तैयार हो रही वैक्सीन, जल्द मिल सकते हैं अच्छे रिजल्ट

सालों की जगह महीनों में तैयार हो रही वैक्सीन, जल्द मिल सकते हैं अच्छे रिजल्ट

वाशिंगटन। दुनियाभर में कोरोना के मामले बढ़कर 2.44 करोड़ के पार हो गए हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि 1.69 करोड़ से ज्यादा मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं। वहीं दूसरी ओर दुनियाभर के वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी बीमारी के लिए वैक्सीन बनाने में सालों लग जाते हैं। पहले शोध फिर प्री क्लीनिकल ट्रायल, फिर अलग-अलग चरणों के क्लीनिकल ट्रायल... फिर मंजूरी के बाद उत्पादन और वितरण तक की प्रक्रिया में 10- 20 साल या ज्यादा भी लग जाते हैं, लेकिन कोरोना का टीका महज कुछ महीनों में ही कामयाबी के नजदीक पहुंच चुका है। इधर छह माह से भी कम समय में कई बड़ी कंपनियों ने वैक्सीन की कामयाबी के दावे किए हैं। कई कंपनियों के ट्रायल अंतिम चरणों में हैं। वैक्सीन पाने की रेस ऐसी है कि 33 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका ने आॅपरेशन वॉर्प स्पीड के तहत करीब पांच कंपनियों से दो अरब खुराक का करार कर लिया है। वहीं दूसरी ओर 6.5 करोड़ आबादी वाला देश ब्रिटेन अपने लिए 25 करोड़ खुराक सुनिश्चित कर चुका है।

पहला टीका बनाने में लगे थे 28 साल

ब्रिटिश वैज्ञानिक एडवर्ड जेनर ने साल 1796 में चेचक की वैक्सीन बनाई, जो दुनिया का पहला टीका था। 28 साल की मेहनत के बाद यह सफलता मिल पाई। वहीं, साल 1885 में लुई पाश्चर ने रैबीज का टीका बनाया। 20वीं सदी की शुरुआत में टिटनेस, एंथ्रेक्स, कालरा, प्लेग, टायफाइड और टीबी के टीके बने।

इबोला वैक्सीन 43 साल बाद आई

साल 1976 से करीब 24 बार कहर ढा चुके इबोला की वैक्सीन 43 साल बाद 2019 दिसंबर में तैयार हो सकी। वहीं, कोरोना फैमिली के ही वायरस सार्स (2002), मर्स (2012) का टीका अबतक नहीं बन पाया है।

स्पूतनिक-5 के बाद रूस ने बना ली है दूसरी वैक्सीन

मॉस्को। रूस ने घोषणा की है कि वह जल्द ही कोरोना की एक और वैक्सीन को मंजूरी देने जा रहा है। स्पूतनिक-5 नाम की कोरोना वैक्सीन लांच करने के बाद रूस अब एक और कोरोना वैक्सीन मंजूरी देकर प्रोडक्शन में भेजने की तैयारी में है। देश की डिप्टी प्रधानमंत्री तात्याना गोलिकोवा ने कहा कि सितंबर के आखिर या अक्टूबर तक इसकी तैयारी पूरी कर ली जाएगी। एक बैठक में गोलिकोवा ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बताया कि साइबेरिया में मौजूद वेक्टर वाइरोलॉजी इंस्टीट्यूट के बनाए इस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल सितंबर के आखिर तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले और दूसरे चरण में जिन्हें ये वैक्सीन दी गई है, उनमें कोई कॉम्लिकेशन दिखाई नहीं दिए हैं। बता दें कि इसी महीने रूस पहला ऐसा देश बन गया था जहां नियामकों ने दो महीने से भी कम वक्त के ह्यूमन ट्रायल के बाद वैक्सीन के उत्पादन को मंजूरी दी थी।