तीन लाख किसानों पर 100 करोड़ बकाया है आपासी का पैसा

तीन लाख किसानों पर 100 करोड़ बकाया है आपासी का पैसा

1965 में चंबल नहर बनने के बाद से है बकाया राशि
फसल कटने के बाद मिलता रहा है यह पैसा लेकिन अब नहीं 
ग्वालियर। यमुना बेसिन से जुड़े ग्वालियर-चंबल संभाग के करीब तीन लाख किसानों पर सिंचाई राजस्व कर के रूप में 100 करोड़ बकाया है। कोरोना संक्रमण के दौर में यह वसूली भी न सिर्फ स्थगित हो गई है बल्कि विभागीय अमला जाने की स्थिति में भी नहीं दिख रहा। 22 मार्च से पहले जो वसूली हो गई सिर्फ सिंचाई राजस्व के रूप में वही है, वसूली की यह राशि ऊंट के मुंह जीरा के बराबर है।
वर्ष 1965 में कोटा बैराज से टेल एंड भिंड तक चंबल नहर तैयार हुई थी यमुना बेसिन में आने वाली यह नहर सिंचाई की दृष्टि से किसानों के लिए जीवन रेखा है तो सिंचाई विभाग के लिए राजस्व वसूली का बड़ा जरिया भी है। लेकिन भिंड, मुरैना और श्योपुर सहित ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया के करीब तीन लाख किसान सिंचाई का जरिया इन्हीं नहर प्रणालियों को बना रखा है। हरसी से दतिया और भिंड तक जाने वाली नहर भी किसी मायने में कम नहीं है। बावजूद इसके किसानों से हम विभागीय राजस्व को वसूल नहीं कर पा रहे हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल में वसूली नहीं हो पा रही है।
जल संथाओं को वसूलना होती है यह राशि
सिंचाई विभाग के पास जल संथाओं के  रूप में एक बड़ा नेटवर्क है। इसके जरिए किसान अपनी बात ऊपर तक पहुंचाता है तो दूसरी जगह आपासी का पैसा भी इस तंत्र के जरिए वसूली में आता है।  सिंचाई विभाग के अधीक्षण यंत्री आरपी झा कहते हैं कि अभी तक वसूली फसल कटने के बाद होती रही है। इस बार रवी की फसल लॉक डाउन में काटी गई थी और अब खरीफ की फसल अनलॉक में काटी जाएगी। दोनों ही स्थितियों में विभाग के पास सिंचाई राजस्व कर हाथ में नहीं आने वाला।  अभी तक फसल कटाई के बाद शिविर लगाकर हम लोग बकाया राशि लेते रहे हैं।  इस बार शिविर लग पाएंगे इसकी संभावना कम दिख रही है।
इनका कहना है ...
यमुना बेसिन में आने वाले ग्वालियर-चंबल संभाग के किसानों पर 100 करोड़ बकाया है। लॉक डाउन के बाद अब अनलॉक भी हो चुका है लेकिन सिंचाई राजस्व कर का पैसा आ पाएगा बड़ा मुश्किल काम दिख रहा है । फिर भी हम सरकारी पैसे को खरीफ की फसल कट ने के बाद वसूली का प्रयास करेंगे। आरपी झा, अधीक्षण यंत्री सिंचाई विभाग।