सिंगल यूज प्लास्टिक बैन से 88 हजार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स होंगी दिवालिया

सिंगल यूज प्लास्टिक बैन से 88 हजार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स होंगी दिवालिया

नई दिल्ली।  सरकार एक जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने की तैयारी कर रही है। इसी बीच आल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन (एआईपीएमए) ने कहा है कि इससे 88 हजार यूनिट्स दिवालिया हो जाएंगी। एआईपीएमए के को-चेयरमैन किमजी रामभिया ने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में करीब 88 हजार इकाइयां सिंगल यूज प्लास्टिक बना रही हैं। इनसे करीब 10 लाख रोजगार मिलता है और करीब 25 हजार करोड़ का निर्यात भी होता है।

एक जुलाई से बैन प्रभावी

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मार्च में नोटिफिकेशन जारी कर 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन कर दिया है। सिंगल यूज प्लास्टिक से 100 माइक्रोन से कम के कप, प्लेट्स, ग्लास, फोर्क, चम्मच, चाकू स्ट्रॉ, ट्रे, पैकिंग फिल्म, निमंत्रण पत्र, सिगरेट पैकेट, पीवीसी बैनर बनते हैं। इनके अलावा ईयर बड्स, झंडे, कैंडी स्टिक के रैपर, आइसक्रीम्स बनते हैं।

महंगे होंगे विकल्प

रामभिया ने कहा कि बैन का असर कई उद्योगों पर होगा। एफएमसीजी, एविएशन इंडस्ट्री और तुरंत सर्विस देने वाले रेस्त्रां इसकी मार सबसे पहले झेलेंगे। उक्त प्लास्टिक उत्पाद ऐसे हैं, जिनका विकल्प बाजार में काफी महंगा मिलता है। इसके दाम बढ़ने पर कीमत आखिर में उपभोक्ता पर डाली जाएगी। रामभिया ने कहा कि चाय के ठेलों पर मिलने वाला एक प्लास्टिक कप सिर्फ 5 पैसे का पड़ता है, लेकिन इसकी जगह इस्तेमाल किया जाने वाला कुल्ड़ह 1 रु. का पड़ेगा। इस तरह के विकल्पों से कीमतें तीन गुना हो जाएंगी। बेवरेज मेकर जैसे पार्ले एग्रो, डाबर ने भी कहा है कि बैन को 6 माह से 1 साल तक के लिए आगे बढ़ा दिया जाए।

अमूल भी विरोध में उतरी

अमूल जैसी कंपनियों ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन होने से उनकी कीमतें काफी ज्यादा बढ़ जाएंगी।

मुआवजे की मांग की

बैन होने का असर छोटे और मध्यम स्तर के उद्योगों पर ज्यादा पड़ने वाला है। इसे देखते हुए एआईएमपीए ने कहा है कि सरकार ऐसे उद्योगों को कुछ मुआवजा दे।