95 की उम्र में 30 मिनट अविराम राई नृत्य करते रहे पं.रामसहाय पांडे

95 की उम्र में 30 मिनट अविराम राई नृत्य करते रहे पं.रामसहाय पांडे

भारत भवन के 42 वें स्थापना दिवस समारोह के अंतिम दिन पद्मश्री पंडित रामसहाय पांडे ने जैसे ही राई नृत्य की प्रस्तुति देना शुरू की, दर्शक हैरान रह गए। 95 वर्षीय रामसहाय पांडे मंच पर युवा कलाकारों की तरह भरपूर ऊर्जा के साथ राई नृत्य के ठुमके और हाव- भाव से नृत्य को ऊंचाईयां दे रहे थे। उन्हें देखकर कईयों को यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी उम्र इतनी ज्यादा है। उनके चेहरे पर चमक और नृत्य में खनक देखते बन रही थी। नृत्य के साथ-साथ पूरे समय उन्होंने गले में मृदंग डाले उसका भी वादन किया।

भारत भवन के उद्घाटन पर भी दी थी प्रस्तुति

लगभग 30 मिनट तक पंडित रामसहाय पांडे ने धाराप्रवाह प्रस्तुति दी। उनके साथ उनके सुपुत्र संतोष पांडे व छह शिष्याओं ने फाग गीत मोरी माता आभार तोरे भरोसे कंगन बंधे.. गीत पर नृत्य किया। फिर हा हा से करे दइने मुरलिया राधा ने...और तानक हंस बोल ले ये चलती बेला...गीत पर राई नृत्य किया। इस मौके पर भारत भवन के प्रशासनिक अधिकारी प्रेमशंकर शुक्ला ने दर्शकों से मुखातिब होते हुए बताया कि 1964 में रवींद्र भवन में पंडितजी ने प्रस्तुति दी थी, फिर जब भारत भवन का उद्घाटन हुआ तब 1982 में भी उन्होंने प्रस्तुति दी थी। वे लगातार यहां प्रस्तुति दे रहे हैं।

लोकनाट्य माच के पूर्व रंग जयबोलो से की शुरुआत

इस मौके पर मालवी लोकगायिका स्वाति उखले ने कहा कि मालवा के चुनिंदा मोती सुनाने के लिए आए हैं जो कि श्रोताओं के मन को छुए। उन्होंने अपने गायन की शुरुआत मालवी लोकनाट्य माच के पूर्व रंग के जयबोलो से की, जिसमें देवगण और गुरु की जय बोली गई। फिर आगे प्रस्तुति बढ़ी, जिसमें गजानन महाराज गीत से शुरुआत की गई। इसके बाद गायत्री पवार और प्रियंका सेन के साथ खेत-खेत में सरसो खिली, रंग बसंती छायो रे...गीत सुनाया। गायिकाओं के साथ संगतकार के रूप में सोनी पवार, गगन जौहरी शामिल रहे।