सार्थक रक्षाबंधन: किसी ने घायल तोते को बचाया तो किसी ने किया ब्लड डोनेट

सार्थक रक्षाबंधन: किसी ने घायल तोते को बचाया तो किसी ने किया ब्लड डोनेट

शहर में रक्षाबंधन का त्योहार लोगों ने पारंपरिक तरीके के अलावा एक अलग अंदाज में भी मनाया, जिसमें कुछ रोचक, नयापन और सामाजिक समरसता का संदेश भी देखने को मिला। भोपाल के स्पर्श द्विवेदी ने रक्षाबंधन वाले दिन एक 28 साल के थैलेसीमिया पीड़ित युवक को रक्तदान करके मदद की। तो वही अमरीश राय ने ऐसे तोते को अडॉप्ट किया जिसका जीवन खतरे में था और किसी ने उसके पंख पूरी तरह से कतर दिए थे। इस तरह रक्षाबंधन का सही अर्थ सार्थक करते हुए कुछ लोगों ने अपने दिन की शुरूआत की।

रक्तदान से की दिन की शुरुआत

खूबेब अली एक थैलासीमिया माइनर ग्रसित युवा है। उनके माता पिता ने सबसे पहले संपर्क अप्रैल में किया था जब रात में जाकर उन्हें ब्लड उपलब्ध करवाया था। खुबेब को हर 15 से 20 दिन में ब्लड की आवश्यकता पड़ती है। रक्षाबंधन वाले दिन मैंने उसे फोन लगाया कि कहीं उसे ब्लड की जरूरत तो नहीं है और उसे ब्लड की जरूरत थी तो मैं 12:30 बजे तत्पर ब्लड बैंक प्लेसमेंट पहुंचा और उस लड़के को रक्त उपलब्ध कराया। मैंने सोचा कि रक्षाबंधन वाले दिन वाकई किसी की रक्षा करके इस दिन को मनाया जाए। और इस तरह मेरा यह रक्षाबंधन भी सार्थक हो गया। बहुत हुए ये साड़ी चैलेंज, आइस बकेट चैलेंज, कपल फोटो चैलेंज। किसी को चैलेंज करना है तो किसी अच्छे काम को करने के लिए प्रोत्साहित कीजिए । स्पर्श द्विवेदी, पर्यावरण कार्यकर्ता

पंख कतर दिए गए तोते को किया अडॉप्ट

मिशन पंख संचालित करने वाले धर्मेंद्र शाह ने एक पोस्ट फेसबुक पर डाली थी कि किसी ने एक पूरी तरह से पंख काट दिए गए तोते को उनके रेस्टोरेंट के बाहर छोड़ दिया है और जो कोई इसकी ठीक से देखरेख कर सकता हो वह इसे अडॉप्ट कर सकता है। रक्षाबंधन वाले दिन ही मैंने इस जीव को अपनाया है। तोते की हालत यह है कि अब ये कभी पंख आए तभी उड़ पाएगा फिलहाल तो इसकी कुछ सालों तक उड़ने की स्थिति नहीं है। यदि इस पर कोई बिल्ली हमला कर देती है तो यह अपनी जान भी नहीं बचा पाएगा क्योंकि ये सिर्फ चल सकता है। इसे पूरी तरह से सुरक्षित माहौल चाहिए और इसलिए मैंने इसे अपने संरक्षण में लेने का प्रयास किया और 15 ही मिनट में ये तोता बहुत अच्छे से मेरे साथ घुलमिल गया और मैं और मेरा परिवार जब तक इसका जीवन है इसकी रक्षा करेंगे। मैं जहां भी पिंजरे में बंद पक्षियों को देखता हूं उन्हें खरीदकर उन्हें आजाद करा देता हूं लेकिन चाहता हूं कि इस संबंध में जो भी कानून है उसका भी पालन सरकार की तरफ से करवाया जाना चाहिए।

जीव रक्षा करने का दिया संदेशर

क्षाबंधन के दिन की जीव रक्षा का संदेश देते हुए मैंने अपने पेट टैंगो को राखी बांधी और तिलक किया। टैंगो ने भी बहुत अच्छा महसूस हुआ होगा। उसने मजे से मिठाई भी खाई। मुझे लगता है कि प्रकृति में हर उस जीव की रक्षा करना चाहिए जितना मनुष्य के बस में है। जीव बेजुबान होते हैं उनकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य होना चाहिए और यही हमारी भारतीय संस्कृति है। सभी त्योहार कहीं ना कहीं हमें प्रकृति और जीव और उनके प्रति सम्मान, दया, प्रेम करुणा से जोड़ने का माध्यम हैं। वत्सला चौबे, स्टूडेंट