डीएड, बीएड और एमएड के छात्रों को करना होगा 10 लोगों को साक्षर

डीएड, बीएड और एमएड के छात्रों को करना होगा 10 लोगों को साक्षर

ग्वालियर। असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए प्रदेश के हर स्कूल में सामाजिक चेतना केंद्र स्थापित होंगे। इन केंद्रों पर अक्षर साथी असाक्षरों को अक्षर पोथी के जरिए पढ़ाएंगे। इसके तहत शासकीय कॉलेजों में डीएड, बीएड, एमएड के ट्रेनीज को 10 असाक्षरों को आक्षर बनाने की जिम्मेदारी (प्रोजेक्ट कार्य) दी जाएगी। हर चेतना केंद्र पर अक्षर पोथी के अलावा चॉक, डस्टर, टाट-पट्टी, पेयजल, पंखा, लाइट की व्यवस्था प्राचार्यों, प्रधानाचार्यों को करना होगी। राज्य शिक्षा केंद्र ने वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को साक्षर बनाने के लिए ‘उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम’ शुरू किया है।

इसके तहत विकासखंड शिक्षाधिकारी, विकासखंड स्रोत समन्वयक, संकुल प्राचार्य, जनशिक्षक, प्राचार्य, प्रधानाध्यापक और नोडल अधिकारियों को असाक्षरों की पहचान व बसाहट के प्रत्येक परिवार का सर्वे करके साक्षरता ऐप में पंजीयन करना होंगे। साथ ही असाक्षरों को साक्षर बनाने के लिए सामाजिक चेतना केंद्र में भेजना होगा ताकि वहां आने में रुचि रहे। साक्षरता कार्यक्रम में जिला, विकासखंड, संकुल स्तर पर एक-एक शिक्षक सह समन्वयक साक्षरता के रूप में कार्य करेंगे।

कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए रैली निकाली जाएगी

उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए रैली निकाली जाएगी, साथ संगोष्ठी, निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। विद्यालयों में होने वाले कार्यक्रमों में अक्षर साथियों का सम्मान किया जाएगा।

कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार के लिए रैली निकालेंगे

जानकारी के अनुसार प्रदेश भर में कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेदारी हर जिले के कलेक्टर को दी गई है। कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष में दो बार फरवरी व सितंबर 2024 में बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मकता मूल्यांकन परीक्षा आयोजित की जाएगी।

15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को साक्षर बनाने के लिए हर स्कूल में सामाजिक चेतना केंद्र स्थापित होंगे, जहां असाक्षरों को साक्षर बनाया जाएगा। कार्यक्रम के तहत असाक्षरों का चिन्हांकन करके साक्षरता ऐप में पंजीयन किया जाएगा। इसे लेकर कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। -धनराजू एस., संचालक राज्य शिक्षा केंद्र