एलोपैथी में नहीं मिला फायदा तो किया आयुर्वेद का रुख नतीजा बढ़ी मरीजों की भीड़ कॉरिडोर में लगाने पड़े बेड

खुशीलाल आयुर्वेदिक चिकित्सालय में 150 बेड की क्षमता और 190 मरीज किए गए हैं भर्ती

एलोपैथी में नहीं मिला फायदा तो किया आयुर्वेद का रुख नतीजा बढ़ी मरीजों की भीड़ कॉरिडोर में लगाने पड़े बेड

भोपाल। कोरोना काल में आयुर्वेद उपचार शैली को कारगर और उल्लेखनीय माना गया था। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद के काढेÞ और संक्रमण कम करने के लिए अन्य आयुर्वेद दवाओं के उपयोग का सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद से लोगों का रुख आयुर्वेद की ओर बढ़ा है। अब भी कई मरीज ऐसे हैं, जो लंबे एलोपैथी उपचार के बाद भी बीमारी से निजात न पाने पर अब आयुर्वेद को अपना रहे हैं। इसका उदाहरण शासकीय खुशीलाल आयुर्वेदिक चिकित्सालय में देखने को मिला। यहां मरीजों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि कॉरिडोर में बेड लगाने पड़े रहे हैं। इन मरीजों में ज्यादातर ऐसे थे, जो लंबे समय से एलोपैथी इलाज कराने के बाद यहां आए थे। मालूम हो कि अस्पताल में 150 मरीजों को भर्ती करने की क्षमता है, लेकिन बुधवार को यहां करीब 190 मरीज भर्ती थे। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अब लोगों का विश्वास आयुर्वेद की तरफ बढ़ रहा है। बीते कुछ सालों से यह स्थिति लगातार बन रही है। यही कारण है कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अस्पताल की क्षमता 100 से बढ़ाकर 150 बेड की गई थी, लेकिन अब यह भी कम पड़ने लगे हैं। मौसमी बीमारी के साथ अन्य मरीज भी: डॉक्टरों का कहना है कि जो मरीज अस्पताल में भर्ती किए गए हैं, उनमें मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या तो कम है, लेकिन असाध्य या लंबे समय चलने वाली बीमारी के मरीज ज्यादा हैं। उन्होंने बताया कि भर्ती मरीजों मस्कुलर एस्केलेटन डिस्ट्रॉफी, सिरोसिस, जॉइंट पेन, खून से जुड़ी बीमारियों के मरीज ज्यादा हैं। इन बीमारियों में मरीजों को भर्ती करना पड़ता है। माना जाता है कि अन्य पैथी की तुलना में आयुर्वेद में इसका इलाज सटीक है। मौसमी बीमारियों के मरीज भी पहुंच रहे: पहले यहां पर ज्यादातर चर्म रोग, पेट के रोगों से पीड़ित इलाज के लिए आते थे। मौसमी बीमारियों को लेकर लोग एलोपैथी अस्पतालों का रुख ही करते थे। लेकिन अब खांसी, जुकाम, एलर्जी, बुखार के मरीज भी ओपीडी में पहुंच रहे हैं। वहीं यहां जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों डायबिटीज, अनिद्रा का इलाज भी दिया जा रहा है। महिलाओं से संबंधित रोगों के लिए भी यहां विशेषज्ञ उपचार दे रहे हैं।

लोगों का विश्वास अब आयुर्वेद की ओर ज्यादा बढ़ रहा है। बीते कुछ सालों से मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हर बार यह स्थिति बनती है। डॉ. उमेश शुक्ला, प्राचार्य, पं.खुशीलाल आयुर्वेद महाविद्यालय