आतंकवाद को नहीं करें बर्दाश्त

आतंकवाद को नहीं करें बर्दाश्त

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद रोधी समिति ने शनिवार को आतंकी गतिविधियों को कतई बर्दाश्त नहीं करने की सदस्य देशों से अपील की। साथ ही, भारत में आयोजित इस दो दिवसीय विशेष सम्मेलन में इस बुराई (आतंकवाद) से कहीं अधिक प्रबल तरीके से निपटने का संकल्प लिया। बैठक में यूएनएसी और वैश्विक आतंक रोधी विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इसमें दिल्ली घोषणापत्र स्वीकृत करते हुए आतंकवाद की चुनौतियों और आतंकवाद को वित्त पोषण का मुकाबला करने में परिषद की प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध किया गया। घोषणापत्र में, वैश्विक संस्था ने आतंकी उद्देश्यों के लिए सोशल मीडिया मंचों सहित इंटरनेट और अन्य संचार प्रौद्योगिकियों के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई। समिति कहा कि क्राउड फंडिंग मंचों जैसे वित्तीय प्रौद्योगिकियों में नवोन्मेषों ने आतंकवादियों के वित्त पोषण का खतरा पैदा किया है। साथ ही, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों पर हमले के लिए आतंकवादियों द्वारा मानवरहित हवाई प्रणालियों के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की गई।

जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी अपनाएं : मुर्मू

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आतंकवाद निरोधी समिति के शिष्टमंडलों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ लड़ने की भारत की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है। राष्ट्रपति ने जोर दिया कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से निपटने के लिए तैयार की जा रही योजना/रूपरेखा का मार्गदर्शक आतंकवाद के प्रति तनिक भी सहन नहीं करने की (जीरो टॉलरेंस) नीति होनी चाहिए। शिष्टमंडल के सदस्यों का स्वागत करते हुए मुर्मू ने मुंबई आतंकवादी हमला के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के साथ यात्रा शुरू करने की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, दुनिया का सबसे मुक्त और विविध समाज है।

आतंकवादियों को टेक्नोलॉजी और फंडिंग से करें वंचित : ब्रिटेन

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवादियों को आधुनिक प्रौद्योगिकी और वित्त पोषण से वंचित रखने के लिए मिलकर काम करना चाहिए ताकि दुनियाभर में तबाही रुके। ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने शनिवार को यहां यह बात कही। संयुक्त राष्ट्र (संरा) सुरक्षा परिषद की आतंकवाद निरोधक समिति की एक बैठक को संबोधित करते हुए क्लेवरली ने देशों से ऑनलाइन आतंकवाद से लड़ने की अपील की जिसमें वैश्विक आतंकी भर्ती अभियान शामिल है। उन्होंने कहा कि दो दशक के अंदर अतांकवादी तोरा बोरा की खाइयों से उकसाने वाली आवाज की रिकॉर्डिंग प्रसारित करने की जगह वैश्विक स्तर पर ऑनलाइन भर्ती और उकसावे का अभियान चलाने समेत हमले का सजीव प्रसारण करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन उकसावे ने देशों के सुदूर इलाकों के वंचित लोगों को कट्टर बनाने का काम किया है जिन्होंने किराए के वाहन को आतंकवाद का हथियार बना लिया। विदेश मंत्री ने कहा कि ऑनलाइन आतंकवादी विचारधारा से लड़ने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना जारी रखना होगा।

इंटरनेट व सोशल मीडिया बन गए हैं शक्तिशाली उपकरण: एस. जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बैठक के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि समाज को अस्थिर करने में इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अब चरमपंथियों और चरमपंथी संगठनों के टूलकिट का शक्तिशाली उपकरण बन गए हैं। ये लोग इन माध्यमों का उपयोग प्रोपेगेंडा, कट्टरता और षड्यंत्र फैलाने के लिए कर रहे हैं। एस जयशंकर ने कहा, पिछले कुछ सालों में चरमपंथी संगठनों ने खुले और उदार समाजों में तकनीक तक पहुंच बनाकर अपनी क्षमताओं को बढ़ाया है।