शासकीय कर्मचारियों का होगा ऑडिट, नहीं बनेंगे नए भवन

शासकीय कर्मचारियों का होगा ऑडिट, नहीं बनेंगे नए भवन

 भोपाल ।  किसी भी सरकारी विभाग की नई बिल्डिंग बनाने से पहले उस विभाग में कार्यरत कर्मचारियों का आॅडिट किया जाएगा। यदि उस विभाग में कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है तो नई बिल्डिंग बनाने की अनुमति दी जाएगी, कर्मचारियों की संख्या कम होने पर नई बिल्डिंग नहीं बनेगी। सरकारी खर्चों में कटौती की जाएगी। बेकार पड़ी शासकीय जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल किया जाएगा। ईमानदारी से टैक्स देने वालों को अतिरिक्त सुविधाएं देने पर विचार किया जाएगा। बुधवार को यह निर्णय सीएम की बैठक में लिए गए। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिए कि विभिन्न विभागों के अनावश्यक खर्चों को कम किया जाए तथा राजस्व बढ़ाने के प्रयास किए जाएं। अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए गठित हाईपॉवर कमेटी की बैठक में सीएस इकबाल सिंह बैंस के अलावा एसीएस मोहम्मद सुलेमान, आईसीपी केशरी, एसएन मिश्रा, पीएस मनोज गोविल आदि मौजूद थे।

टोल नाकों पर होगी फास्ट टैग की सुविधा 

सीएम ने वाणिज्यिक कर की पूरी वसूली के लिए ई-वे बिल को ‘फास्ट टैग’ के साथ एकीकृत करने तथा सभी टोल नाकों पर फास्ट टैग सुविधा प्रारंभ करने के निर्देश दिए। इसके लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाया जाए। वसूली के लिए वन टाइम सैटलमेंट योजना बनेगी।

 आबकारी में लागू होगा आंध्रप्रदेश मॉडल

आबकारी आय में वृद्धि के लिए अवैध शराब की बिक्री एवं निर्माण सख्ती से रोका जाए। अन्य राज्यों की आबकारी नीति विशेष रूप से आंध्रप्रदेश मॉडल का अध्ययन कर वहां की बेस्ट प्रेक्टिसेज को अपनाया जाए। सीएम ने कहा आदिवासियों की परंपराओं से छेड़छाड़ न की जाए। 

राज्य परिवहन पोर्टल केंद्र के पोर्टल से जुडेगा 

सीएम ने निर्देश दिए कि परिवहन क्षेत्र में राजस्व बढ़ाने के लिए राज्य परिवहन पोर्टल को केन्द्र सरकार के वाहन पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाए। एसीएस एसएन मिश्रा ने बताया कि यह कार्य आगामी जनवरी माह तक पूरा कर लिया जाएगा।

 निर्माण कार्यों पर खर्च कम किया जाएगा 

शासकीय निर्माण कार्यों पर खर्च कम करने के लिए एक राज्य स्तरीय अधोसंरचना विकास एजेंसी बनाई जाएगी, जो विभिन्न विभागों की अधोसंरचना निर्माण का कार्य करेगी। साथ ही निर्माण कार्यों को फास्ट टैग किया जाएगा 

उद्योगों के उपयोग के लिए भूमि के छोटे क्लस्टर 

भोपाल एवं इंदौर जैसे बड़े शहरों के आसपास उद्योगों के उपयोग के लिए भूमि के छोटे क्लस्टर बनाए जाएं। साथ ही भोपाल एवं इंदौर की औद्योगिक उपयोग की भूमि को एमपी मेगा इन्वेस्टमेंट रीजन एक्ट के अंतर्गत अधिसूचित किया जाए। 

एडीबी और वर्ल्ड बैंक से लेंगे ज्यादा कर्ज 

अधिक से अधिक सरकारी प्रोजेक्ट्स वर्ल्ड बैंक, एडीबी, एआईआईबी, आदि के साथ को-फाइनेंसिंग तथा ‘ब्लैन्डेड फाइनेंसिंग’ के आधार पर तैयार किए जाएंगे।