डिजिटल होंगी स्वास्थ्य सेवाएं

डिजिटल होंगी स्वास्थ्य सेवाएं

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी । इस मिशन के लिये पांच वर्षों के लिए 1,600 करोड़ रु. का वित्तीय प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई । सरकारी बयान के अनुसार, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के माध्यम से टेलीमेडिसिन जैसी तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करके और स्वास्थ्य सेवाओं के राष्ट्रीय स्तर पर विकल्प चयन करके गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक समान एवं सुगम पहुंच को सुदृढ़ बनाया जा सकेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए), आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) की कार्यान्वयन एजेंसी होगी। इसमें कहा गया है कि इसके तहत देश के लोग अपनी आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता संख्या सृजित कर सकेंगे जिससे डिजिटल स्वास्थ्य रिकार्ड को जोड़ा जा सकेगा। यह विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं में व्यक्तियों के लिए विस्तृत स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाने में सक्षम होगा और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा नैदानिक निर्णय लेने को बेहतर बनाएगा। बयान के अनुसार, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की प्रायोगिक परियोजना छह केंद्र शासित राज्यों लद्दाख, चंडीगढ़, दादरा एवं नगर हवेली, दमन दीव, पुदुचेरी, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह तथा लक्षद्वीप में पूरा किया गया था।

गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधाएं ब्लॉक स्तर पर पहुंचाने पर सरकार का जोर: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि पिछले सात सालों में केंद्र सरकार ने देश के स्वास्थ्य ढांचे में सुधार और बदलाव किए हैं और अब उसकी कोशिश गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधाएं ब्लॉक स्तर पर पहुंचाने की है। आम बजट-2022 में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों पर केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से आयोजित एक वेबिनार का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार का प्रयास आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से देश के हर व्यक्ति तक किफायती इलाज पहुंचाने का है। स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट प्रावधानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, यह बजट पिछले साल से स्वास्थ्य देखभाल तंत्र में सुधार और व्यापक बदलाव करने के हमारे प्रयासों को विस्तार देता है। हमने अपने स्वास्थ्य देखभाल तंत्र में एक सर्वसमावेशी रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का ध्यान स्वास्थ्य पर तो है ही, इसके साथ ही उसकी कोशिश आयुष जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति में शोध को प्रोत्साहन देकर स्वास्थ्य देखभाल तंत्र में उसकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर भी है।

स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच सुनिश्चित करने में अहम हो सकती है प्रौद्योगिकी की भूमिका

प्रायोगिक परियोजना के दौरान, डिजिटल सैंडबॉक्स बनाया गया था जिसमें 774 से अधिक भागीदार समाधान एकीकरण की प्रक्रिया में हैं। इसमें कहा गया है कि 24 फरवरी 2022 तक, 17,33,69,087 आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए गए हैं और एबीडीएम में 10,114 डॉक्टरों और 17,319 स्वास्थ्य सुविधाओं को पंजीकृत किया गया है। सरकार का कहना है कि स्वास्थ्य इकोसिस्टम में डिजिटल स्वास्थ्य समाधान पिछले कुछ वर्षों में अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हुए हैं तथा को-विन, आरोग्य सेतु और ई-संजीवनी ने यह दिखाया है कि स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को सक्षम करने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। हालांकि, देखभाल की निरंतरता और संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए ऐसे समाधानों को एकीकृत करने की आवश्यकता है।