भूमि हस्तातंरण प्रक्रिया में त्रुटि हुई तो निर्माण तोड़ने के दे सकते हैं आदेश

बरगी हिल्स में आईटी पार्क संबंधी मामले में हाईकोर्ट की दो टूक, रिकॉर्ड तलब

भूमि हस्तातंरण प्रक्रिया में त्रुटि हुई तो निर्माण तोड़ने के दे सकते हैं आदेश

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने बरगी हिल्स के समीप प्रदेश सरकार द्वारा आईटी पार्क व सेटेलाइट सिटी के लिए नगर वन भूमि की जमीन आवंटित किए जाने संबंधी रिकॉर्ड तलब कर लिया है। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष शासन की ओर से बताया गया कि जमीन स्थानातंरण की प्रकिया वर्ष 2006 में हुई थी और अब उस पर निर्माण भी हो चुका है। जिस पर युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि भूमि हस्तातंरण प्रकिया में त्रुटि पायी गई तो न्यायालय निर्माण तोड़ने के आदेश कर सकती है। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की है। उल्लेखनीय है कि बरगी हिल्स के समीप आईटी सिटी व पार्क के लिए सरकार द्वारा जमीन आवंटन को पूर्व में जनहित याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसमें कहा गया था कि बरगी हिल्स का क्षेत्रफल लगभग सौ हैक्टेयर का है। बरगी हिल्स में तेंदुए सहित अन्य वन प्राणियों को देखा गया है, इसके अलावा बड़ी संख्या में पक्षी भी रहते है। मदन महल पहाड़ी को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए लाखों रुपए व्यय किये गये और सैकड़ो की संख्या में परिवारों को विस्थापित किया गया। बरगी हिल्स भी मदन महल पहाड़ी के पीछे का हिस्सा है। सरकार ने आईटी पार्क व सेटेलाइट सिटी स्थापित करने के लिए बरगी हिल्स में जो जमीन आवंटित की है, वह पर्यावरण की दृष्टि से सही नहीं है। आईटी पार्क व सेटेलाइट सिटी निर्माण के लिए ब्लास्ट कर पहाड़ी को समतल किया जा रहा है। जिस पर न्यायालय ने सरकार से शपथपत्र पर जवाब मांगा था। पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से याचिका वापस लेने का आग्रह किया था। युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए उक्त मामले की सुनवाई संज्ञान याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे। युगलपीठ ने याचिका में अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय को कोर्ट मित्र नियुक्त किया था। मामले में आगे हुई सुनवाई दौरान कोर्ट मित्र ने न्यायालय को बताया कि नगर वन भूमि की जमीन को दूसरे विभाग में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। नियमों के विपरीत सिर्फ आदेश पारित कर दिया। वहीं सरकार की ओर से युगलपीठ को बताया गया कि जमीन के स्थानांतरण की प्रकिया साल 2006 में हुई थी। याचिकाकर्ता ने याचिका दायर करने में देरी की है, वर्तमान में उक्त जमीन पर निर्माण कार्य हो गया है। जिस पर न्यायालय ने उक्त टिप्पणी करते हुए भूमि हस्तातंरण की प्रकिया संबंधी रिकार्ड पेश करने के निर्देश दिये है।