काम के साथ बच्चों की जरूरतों का भी पैरेंट्स रख रहे ख्याल

काम के साथ बच्चों की जरूरतों का भी पैरेंट्स रख रहे ख्याल

आपने आज तक मदर्स डे, फादर्स डे के अलावा कई दिन सेलिब्रेट किए होंगे। क्या आप जानते हैं कि हर साल जुलाई माह के आखिरी रविवार को देश समेत पूरी दुनिया में पैरेंट्स डे क्यों मनाया जाता है? अमेरिकी कांग्रेस ने माता-पिता की जिम्मेदारियों को बढ़ावा देने और बच्चों के साथ संबंधों में सुधार लाने के लिए एक बिल को यूनिफिकेशन चर्च, सीनेटर ट्रेंट लोट के समर्थन से सीनेट में पेश किया था। इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 1994 में साइन कर हर साल जुलाई माह के आखिरी रविवार को पैरेंट्स डे मनाने की घोषणा की थी। कुछ ऐसे ही पैरेंट्स ने आईएम भोपाल से कोरोना काल में बच्चों के साथ उनकी बॉन्डिंग के किस्से शेयर किए ।

टीचर की भूमिका निभा रहे

पहला एडवांटेज यह है की अपने आप को ऑर्गेनाइज करना जानते है। बच्चों की इस समय ऑनलाइन क्लासेस भी बंद है तो उन्हें घर की मोरल रिस्पांसिबिलिटी से भी रूबरू करा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से अभी जिम्मेदारियां ज्यादा है और अपने काम के साथ उन्हें भी देखना होता है। मैं और मेरे हस्बेंड को कई बार फील्ड पर जाना पड़ जाता है तब पूरा फोकस काम पर ही होता है। मेरे दोनों बच्चे छोटे है और बच्चे मेरे अभी से मुझे डोमेस्टिक में हेल्प करते हैं जो एक अच्छी बात है।

अपने काम के साथ बच्चों पर दे ध्यान

मैं बिजनेस करती हूं और मेरे हस्बैंड डॉक्टर रजत शर्मा है। कोरोना का प्रकोप जब से हुआ है तब से घर से ही अपना काम कर रहे हैं। मेरे दो बेटे हैं एक 9वीं में है और दूसरा 12वीं क्लास में गया है। दोनों के लिए यह साल क्रूशियल है। ऐसे में हम पैरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों के साथ घर को भी मैनेज कर के चलें। हम सभी अपने काम को टाइमिंग्स में डिवाइड करते हैं और फिर शाम को दोनों को पढ़ाते है। यह टाइम सभी के लिए कठिन है, लेकिन यह एक चैलेंज भी है।

बच्चों को देना चाहिए पूरा सपोर्ट

मेरा बेटा चैन्नई में जॉब करता है। लॉकडाउन से पहले ही वर्क फ्रॉम होम होने की वजह से भोपाल आगया। बेटे की नई जॉब है और इस कोरोना टाइम में जॉब सिक्योरिटी बच्चों के लिए एक बड़ा टास्क हो गया है। रोजाना देखता हूं कि ऑफिस की मीटिंग लैपटॉप पर दिनभर चलती है ऐसे में बेटे को खुश रखना हम पेरेंट्स की जिम्मेदारी है। हम भी जॉब करते थे तब इस तरह के चैलेंजेस नहीं हुआ करते थे जो आज के यंगस्टर्स फेस करते हैं। अपने बच्चों को सपोर्ट देते रहें।

पैरेंट्स के साथ बॉन्डिंग बढ़ाने का सही मौका

यह समय थोड़ा सभी के लिए कठिन है। अभी की लाइफ के हिसाब से पैरेंट्स को महसूस होता होगा कि बच्चों को टाइम नहीं दे पा रहे हैं। इस बात का भी ध्यान रखना है की यह समय दोबारा भी नहीं आएगा। हो सकता है की फाइनेंशियल और प्रोफेशन प्रॉब्लम हो सकते है और घर में तालमेल बिठाने में कठिनाई हो,लेकिन ये ओवरऑल फायदा देकर जाएगा । जो लोग बाहर से घर आए है उनके लिए अपने पैरेंट्स के साथ बॉन्डिंग बढ़ाने का इससे अच्छा मौका कुछ नहीं हो सकता। -डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी,साइकेट्रिस्ट