बोलिविया की जेल में किताब पढ़ो, मिलेगी रिहाई

बोलिविया की जेल में किताब पढ़ो, मिलेगी रिहाई

सक्रे। दक्षिण अमेरिका में देश बोलिविया की जेलों में चल रहे एक नए प्रयोग की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। इस प्रयोग को बुक्स बिहाइंड बार्स का नाम दिया गया है। इस खास चलन की थीम ये है कि किताबें पढ़िए, सजा कम कराइए और फिर मुस्कुराते हुए बाहर जाइए। ऐसा करके देश की जेलों में बंद सैकड़ों कैदियों को किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। बोलीविया की भीड़भाड़ वाली जेलों में कैदियों की संख्या पर नियंत्रित करने के लिए नए तरकीब आजमाई जा रही है। बोलीविया में मौत की सजा या उम्रकैद की सजा नहीं है। ऐसे में ये तरीका कैदियों को खूब रास आ रहा है। वहीं जेल प्रशासन भी इस प्रोजेक्ट की कामयाबी से उत्साहित है। योजना के तहत हर किताब को पढ़ने के बाद कैदियों का टेस्ट लिया जाता है। उसमें नंबर के आधार पर सजा को कम करने का फैसला होता है।

जेल में बनी लाइब्रेरी : जेल में बंद 865 कैदियों को इन दिनों किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत कैदियों के लिए हर जेल में लाइब्रेरी बनाई गई है। जहां से वो किसी भी विषय की किताब पढ़ सकते हैं। यही वजह है कि इन दिनों जेल के लगभग हर दूसरे या तीसरे कैदी के हाथों में किताबें नजर आ रही हैं।

अक्सर होते हैं प्रदर्शन

इस कार्यक्रम से उत्साहित होकर ब्राजील में भी कुछ ऐसे ही प्रोग्राम की शुरुआत की गई है। वहीं बोलिविया के मानवाधिकार संगठनों की बात करें तो उनके मुताबिक देश की जेलों के हालात बेहद खराब हैं। वहां बंद कैदी भीड़ और गंदगी से परेशान हैं। अक्सर यहां की जेलों में कैदी अपने बुरे हालातों को लेकर प्रदर्शन करते रहते हैं। ऐसे में कई कैदी इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए लगातार पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं सजा कम कराने के लिए वो कैदी भी पढ़ना सीख रहे हैं, जो किसी मजबूरी की वजह से पढ़-लिख नहीं पाए।

47 जेलों में एक साथ चल रही स्कीम

बुक्स बिहाइंड बार स्कीम के तहत जेल में कैद बंदियों को उनकी रिहाई की तारीख से कुछ दिन या कुछ हते पहले जेल से बाहर निकलने का मौका मिलता है। यह कार्यक्रम देश की 47 जेलों में एक साथ शुरू किया गया है।

यहां मौत की सजा का नहीं है प्रावधान

बोलीविया में आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है। वहीं देश की धीमी न्याय प्रणाली की वजह से यहां सभी जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी भरे हैं। कैदियों की संख्या को नियंत्रित करने के मकसद से स्कीम की शुरुआत की गई है।