भारत-अमेरिका के साथ आ सकता है रूस

भारत-अमेरिका के साथ आ सकता है रूस

मास्को/पेइचिंग। दुनिया के 2 सुपरपावर रूस और चीन न केवल वर्षों से एक-दूसरे के मित्र हैं बल्कि दोनों इसका खुलकर इजहार भी करते हैं। इस सबके बाद भी अब रूस- चीन दोस्ती में अब बड़ी दरार पड़ती दिख रही है। इसका सबसे बड़ा कारण बना है चीन की दादागिरी और उसका विस्तारवादी रवैया। रूस और चीन के बीच गतिरोध के 3 प्रमुख कारण हैं- रूस के सुदूरवर्ती शहर व्लादिवोस्तोक पर चीन का दावा, रूस की ओर से भारत को हथियारों की डिलीवरी और चीन को एस-400 मिसाइलों की डिलिवरी में देरी। भारत के साथ लद्दाख में सीमा विवाद बढ़ा रहे चीन ने अब रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर अपना दावा किया है। चीन ने दावा किया कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर 1860 से पहले चीन का हिस्सा था। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि इस शहर को पहले हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था जिसे रूस से एकतरफा संधि के तहत चीन से छीन लिया था। रूस भारत को चीन के विरोध के बाद भी अत्याधुनिक हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। वह भी तब जब चीन और भारत के बीच में गलवान घाटी में खूनी संघर्ष हुआ था। इसके बाद भारत के रक्षा मंत्री ने रूस की यात्रा की थी और फाइटर जेट तथा अन्य घातक हथियारों की आपूर्ति के लिए समझौता किया था। इसकी चीन में काफी आलोचना हो रही है। ऐसे में रूस का झुकाव अब चीन के बदले भारत और अमेरिका की तरफ बढ़ता दिख रहा है।

इंडो-पैसिफिक में पार्टनर बनें रूस और अमेरिका भारत ने दिया सुझाव

भारत सरकार ने रूस को इंडो-पैसिफिक रीजन में अमेरिका के नेतृत्व वाले ग्रुप में शामिल होने का सुझाव दिया है। माना जाता है कि इस ग्रुप का गठन चीन की दादागिरी को रोकने के लिए किया गया है। कहा जा रहा है कि रूस के उप विदेश मंत्री इगोर मुगुर्लोव और भारत के रूस में राजदूत डी बाला वेंकटेश के बीच वार्ता में इस प्रस्ताव पर बातचीत हुई। भारत ने रूस से कहा है कि वह मास्को के ग्रेटर यूरेसिया प्रॉजेक्ट का समर्थन करता है। इस सुझाव पर चीन के विश्लेषक भड़क उठे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि अगर रूस को सटीक आफर दिया गया तो वह इंडो- पैसफिक ग्रुप में शामिल हो सकता है।