जो खाते 31 अगस्त तक एनपीए नहीं, उन्हें अगले आदेश तक सुरक्षित करें

जो खाते 31 अगस्त तक एनपीए नहीं, उन्हें अगले आदेश तक सुरक्षित करें

नई दिल्ली। लॉकडाउन में आरबीआई की तरफ से दिए गए लोन की किस्तों में छूट (मोरेटोरियम) को आगे बढ़ाने और ब्याज में छूट देने की अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने बैंकों से कहा ‘जिन ग्राहकों के खाते 31 अगस्त तक एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स ) घोषित नहीं किए गए, उन्हें अब केस का निपटारा होने तक सुरक्षित किया जाए। ग्राहकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करें। सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- ‘ब्याज में छूट नहीं दे सकते, लेकिन पेमेंट का दबाव कम कर देंगे। बैंकिंग सेक्टर इकोनॉमी की रीढ़ है। हम अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला कोई फैसला नहीं ले सकते।’ आरबीआई ने लॉकडाउन के दौरान 6 महीने के लिए किस्तों में छूट की सुविधा दी थी। अब मामले की सुनवाई 10 सितंबर को होगी।

ग्राहकों ने कहा था- ब्याज पर ब्याज ‘दोहरी मार’ है

बुधवार की सुनवाई में एक ग्राहक के वकील राजीव दत्ता ने कहा था कि लोन में छूट फायदा देने के नाम पर दी गई थी, लेकिन इसमें ब्याज पर ब्याज लिया जा रहा है, जो ग्राहकों पर दोहरी मार है। ऐसा करना कर्जदारों को ‘दंडित’ करने जैसा है।

रिएल एस्टेट डेवलपर्स के संगठन क्रेडाई की ओर से वकील ए सुंदरम ने दलील रखी- मोरेटोरियम में ग्राहकों से ब्याज वसूलना गलत है। इससे आने वाले समय में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बढ़ सकते हैं।

शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया की तरफ से वकील रणजीत कुमार ने कहा- कोरोना की वजह से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। उन्हें राहत देने के उपाय किए जाने चाहिए। आरबीआई सिर्फ बैंकों के प्रवक्ता की तरह बात नहीं कर सकता। हमारी स्थिति वाकई खराब है। थिएटर, बार और फूड कोर्ट बंद हैं। हम कैसे कमाएंगे और कर्मचारियों को सैलरी कैसे देंगे? कोर्ट से अपील करते हैं कि सेक्टर वाइज राहत देने पर विचार होना चाहिए।

बैंक 15 सितंबर तक लोन रीस्ट्रक्चरिंग के नियम बनाएं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से 15 सितंबर तक लोन रीस्ट्रक्चरिंग की योजना तैयार करने के लिए कहा है। यह इसलिए किया जा रहा है ताकि किस्त अदायगी से छूट की मोहलत समाप्त होने के बाद ग्राहकों को परेशानी का सामना न करना पड़े। वाणिज्यिक बैंकों तथा गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गुरुवार को समीक्षा बैठक में वित्त मंत्री ने कहा कि ऋणदाता संस्थान 15 सितंबर तक न सिर्फ समाधान योजना तैयार करें, बल्कि उसे अपने निदेशक मंडल से मंजूर भी कराएं। पात्र खुदरा एवं कारोबारी ग्राहकों के ऋण के पुनर्गठन से एक तरफ उन पर दबाव नहीं पड़ेगा तो दूसरी तरफ बैंकों के खाते पर नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (एनपीए) का बोझ भी नहीं बढ़ेगा। कोरोना के कारण के लोन अकाउंट का आकलन प्रभावित न हो।