सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा रिटायर, कई अहम फैसलों में थे शामिल 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा रिटायर, कई अहम फैसलों में थे शामिल 

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा बुधवार को रिटायर हो गए। उन्होंने प्रशांत भूषण को कंटेप्ट मामले में दोषी करार देते हुए एक रुपये का जुमार्ना लगाया और चर्चा में रहे। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 6 साल का रहा जिसमें उन्होंने ऐसे फैसले लिए जिनका असर भारतीय समाज पर लंबे समय तक रहेगा। पीएम मोदी की तारीफ का मामला हो या फिर जज लोया केस उन्हें आवंटित करने और फिर विवाद के कारण उनके केस से अलग होने का प्रकरण भी चर्चा में रहा।

जस्टिस मिश्रा ने इंटरनेशनल जूडिशल कॉन्फ्रेंस 2020 में धन्यवाद ज्ञापन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर की बहुमुखी प्रतिभा का धनी नेता बताया था। उन्होंने पीएम को विजनरी नेता बताया जो वैश्विक सोच रखते हैं। 

जस्टिस अरुण मिश्रा ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले किए। प्रशांत भूषण को 31 अगस्त 2020 को कंटेप्ट मामले में दोषी करार देते हुए सजा के तौर पर एक रुपये का जुमार्ना लगाया था और कहा था कि इसमें संदेह नहीं है कि सबको अभिव्यक्ति की आजादी मिली हुई है लेकिन वह संवैधानिक दायरे में होना चाहिए। 

वहीं सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मिश्रा ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में अहम फैसला देते हुए कहा कि शिवलिंग के क्षरण से बचाव के लिए जरूरी है कि शिवलिंग पर शुद्ध दूध चढ़ाया जाए। मंदिर कमेटी से कहा कि वह भक्तों के लिए शुद्ध दूध का इंतजाम करेंगे और ये सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी अशुद्ध दूध शिवलिंग पर न चढ़ाए।

हजारों बॉयर्स को राहत देते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने 22 जुलाई 2019 को आम्रपाली मामले में बड़ा फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप का रजिस्ट्रेशन कैंसल कर दिया था और कहा था कि आम्रपाली के पेंडिंग प्रोजेक्ट सरकारी कंपनी एनबीसीसी पूरा करेगी। इस फैसले से आम्रपाली के हजारों बायर्स को बड़ी राहत मिली थी। 

25 नवंबर 2019 को प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, यूपी और हरियाणा सरकार की इस बात को लेकर खिंचाई की थी और कहा था कि आप दिल्ली के लोगों को वायु प्रदूषण के कारण मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। अरुण मिश्रा ने कहा था कि लोगों को गैस चैंबर में छोड़ दिया गया है। इससे बेहतर होगा कि आप एक ही बार धमाके में सबको खत्म कर दें। 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने अपने एक अहम फैसले में कहा था कि बेटी को अपने पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर का अधिकार है और हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 के वक्त चाहे बेटी के पिता जिंदा रहे हों या नहीं, बेटी को हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (एचयूएफ) में पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर संपत्ति में अधिकार मिलेगा। बेटी को पैदा होते ही जीवनभर बेटे के बराबर का अधिकार मिलेगा।