सूफी नृत्य का चला जादू कविता में सुनाया वादा किया भले ही निभाया कभी नहीं

सूफी नृत्य का चला जादू कविता में सुनाया  वादा किया भले ही निभाया कभी नहीं

 मप्र उर्दू अकादमी की ओर से तीन दिवसीय जश्न- ए -उर्दू कार्यक्रम का शुभारंभ बुधवार को हुआ। समारोह के पहले दिन बैतबाजी, सूबाई मुशायरा, भविष्य का भारत और साहित्य की भूमिका विषय पर वक्तव्य हुए। साथ ही सांगीतिक प्रस्तुति और सूफी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। गौहर महल में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत बैत बाजी से हुई, जिसमें भोपाल की 10 टीमों ने हिस्सा लिया। इस सत्र में निर्णायक मंडल वरिष्ठ शायर अयाज कमर, खालिदा सिद्दीकी एवं परवीन कैफ पर आधारित था। जिनके संयुक्त निर्णय से टीम ताज भोपाली के फिरोज खान और अब्दुल रहमान ने प्रथम, टीम हसरत मोहानी के सरफराज अली एवं सलमान अंसारी ने द्वित्तीय और टीम कैफ भोपाली की आफिया खान एवं पूर्णिमा सिंह ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसके बाद दूसरे सत्र में तलाश-ए-जौहर के विजेताओं पर आधारित सूबाई मुशायरे का आयोजन हुआ। जिसमें तलाश-ए -जौहर के चयनित विजेताओं ने अपना कलाम पेश किया। इस मुशायरे की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर जफर सहबाई ने की। 19 जनवरी को सुबह 11 बजे ओपन माइक, शाम 4.30 बजे से मुशायरा, शाम 7 बजे से कव्वाली की प्रस्तुति दी जाएगी।

भारत का भविष्य साहित्य के माध्यम से ही कारगर बनेगा

कार्यक्रम में दौरान भविष्य के भारत एवं साहित्य की भूमिका विषय पर व्याख्यान का आयोजन हुआ। इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने की। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नौमान खान, प्रसिद्ध शायर व साहित्यकार डॉ. अब्बास रजा नय्यर ने अपने विचार व्यक्त किए। मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि भारत का भविष्य साहित्य के माध्यम से ही कारगर बनाया जा सकता है। वहीं डॉ. अब्बास रजा नय्यर ने भविष्य का भारत और उर्दू शायरी विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारा साहित्य उस भारत का प्रतिनिधित्व करता है जो वेदों का भारत है जो गीता का भारत है।

तेरे इश्क नचाया पर दी सूफी नृत्य की प्रस्तुति 

कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति दिल्ली की रानी खानम और समूह ने सूफी नृत्य की दी। उन्होंने प्रस्तुति की शुरुआत ‘तेरे इश्क नचाया करके तैइया तैइया...’ गाने पर नृत्य से की। इसके बाद ‘ऐ री सखी मोरे पिया घर आए...’, ‘छाप तिलक सब छीनी...’, ‘जरा खोलो जी किवाड़िया’, और ‘दमा दम मस्त कलंदर’ से सूफी नृत्य का समापन किया। 

उस हसीन रात में किसी शख्स ने दस्तक दी

ओपन माइक में मान्या साहू ने ‘उस हसीन रात में किसी शख्स ने दस्तक दी, हमें लगा होगी मोहब्बत, हमें क्या पता था थी वो जन्नत, क्या वक्त बीता पता न चला, राहें आसान हो गई खुदा का पता न चला, जिंदगी आसान लगने लगी रही, राहें खूबसूरत बन गई। औरंगजेब आजम ने ‘खाक रह की उड़ा के चलते हैं, अपना दामन बचा के चलते हैं, आप तो बाखबर हैं दुनिया से, आप क्यूं दिल लगा के चलते हैं’ रचना का पाठ किया। अजय चौबे ने सुनाया ‘वादा किया भले ही निभाया कभी नहीं, मैंने भी जा चुके को बुलाया कभी नहीं, ये सच है उसने खुद से जुदा तो नहीं किया, ये बात भी है खुद से मिलाया कभी नहीं’।