व्यापारी तीन लाख, लाइसेंस मात्र 60 हजार के पास, जागा मार्केट विभाग, लगाया शिविर

व्यापारी तीन लाख, लाइसेंस मात्र 60 हजार के पास, जागा मार्केट विभाग, लगाया शिविर

इंदौर। अपना खजाना भरने के लिए लगातार नवाचार करने का ढोल पीटने वाला निगम खुद लापरवाह बना हुआ है। शहर में छोटे-बड़े तीन लाख के आसपास दुकानें हैं, जिसमें से मात्र 60 हजार ने ही नियमों का पालन करते हुए लाइसेंस बनवाए हैं। सालों से बगैर लाइसेंस व्यापारी कैसे कारोबार कर रहे थे, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। अब जाकर निगम जागा और ताबड़तोड़ प्रमुख बाजारों में शिविर का आयोजन किया। इसमें भी कई व्यापारी शामिल नहीं हो रहे हैं। इस तरह करीब 2 लाख 40 हजार दुकानों के लाइसेंस नहीं होने से निगम को प्रतिमाह 2 से 3 करोड़ रुपए की चपत लग रही है।

संपत्ति, जलकर और कचरा संग्रहण शुल्क वसूली पर ही निगम का सारा फोकस रहता है। इन टैक्स की मदों से विकास कार्यों को गति मिलती है। कई विकास कार्य फंड के अभाव में समय सीमा बीतने के बाद भी पूरे नहीं हो पाते तो कुछ शुरू नहीं हो पाते हैं। निगम अपना राजस्व बढ़ाने टैक्स वसूली का लक्ष्य निर्धारित करता है, उसमें भी बिल कलेक्टर ईमानदारी से काम नहीं करते, जिससे लक्ष्य अनुरूप पैसा खजाने में नहीं आ पाता।

सुविधा दी, बेकार गई

मार्केट विभाग ने लाइसेंस बनाने के लिए निगम के चक्कर काटने से बचने जोन स्तर पर विभाग की शाखा खोली थी। करीब दो साल तक जोनों पर लाइसेंस संबंधी कार्य होते रहे। पिछले दिनों राजस्व विभाग के प्रभारी ने लाइसेंस का कार्य फिर मार्केट विभाग को सौंप दिया।

जीआईएस सर्वे भी काम नहीं आया

संपत्ति की मूल गणना निकालने निगम ने जीआईएस सर्वे कराया है। सर्वे के आधार पर संपत्ति कर का बिल थमाया जा रहा है। सर्वे में किस गली, सड़क पर कितनी दुकानें हैं, यह भी स्पष्ट हो गया, लेकिन फिर भी बगैर लाइसेंस दुकान चलाने वालों पर कार्रवाई नहीं की गई।

वसूली अधिकारियों की अनदेखी

राजस्व वसूलने के लिए निगम ने 19 जोनों पर बिल कलेक्टरों की नियुक्ति की है। अधिकारियों को रोजाना वसूली का टारगेट दिया गया है। आश्चर्य की बात है कि ये अधिकारी बगैर लाइसेंस संचालित हो रही दुकानों पर कार्रवाई नहीं कर पाते। अनदेखी का प्रतिफल है कि रोजाना कई गलियों में नई दुकानें बगैर लाइसेंस के खुल रही हैं।

शिविर लगाकर बनाएंगे लाइसेंस, पेनल्टी भी वसूलेंगे

सभी दुकानों का लाइसेंस होना अनिवार्य है। इतनी बड़ी संख्या में दुकानें बगैर लाइसेंस चलना गंभीर बात है। शिविर में लाइसेंस बनाने के साथ दुकानदारों से पेनल्टी भी वसूली जाएगी। -निरंजनसिंह चौहान, प्रभारी राजस्व विभाग