बसें चलने के लिए खड़ी रहीं, सवारी नहीं आईं

बसें चलने के लिए खड़ी रहीं, सवारी नहीं आईं

ग्वालियर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा बसों का पांच माह का टैक्स माफ करने के बाद शनिवार से पूरी क्षमता के हिसाब से बसें चलना थीं । बस स्टैंड पर बसें तैयार खड़ी रहीं लेकिन सवारियां नहीं मिलीं। घाटा की पूर्ति नहीं होने के कारण आज शाम चार बजे बस स्टैंड पर आपरेटर्स की मीटिंग बुुलाई गई है। मीटिंग में तय होगा क्यों न 33 फीसदी बसे हीं चलेंगी। अलबत्ता बस आॅपरेटर ने अपने हिसाब से किराया भी बढ़ा दिया है। भिंड का किराया 70 रुपए था लेकिन शनिवार को बस आॅपरेटर ने 100 रुपए किराया वसूला गया। टैक्स माफ किए जाने के बाद भी शनिवार को 500 बसों में सिर्फ 40 फीसदी बसें ही चलीं हैं। दोपहर के वक्त एक बस में सिर्फ आठ सवारी बैठीं मिलीं। मजबूरी में उन्हें मुरैना इन सवारियों को ले जाना पड़ा। इसी बात को लेकर दिनभर यही मंथन चलता रहा कि अगर घाटा पूरा नहीं हुआ तो कैसे बसें सड़क पर दौड़ सकेंगी। आॅपरेटर बलवीर सिंह ने बताया कि कोई भी आॅपरेटर घाटे में बस नहीं चलाएगा। आज तय होगा एजेंडा रविवार को शाम चार बजे रोडवेज बस स्टैंड पर बस आॅपरेटर्स की बैठक बुलाई गई है। इसमें पहले यह तया जाएगा कि 33 फीसदी बस रोज के हिसाब से चलाईं जाएं। इसके अलावा रोडवेज बस स्टैंड से बसोंं के छूटने का परमिट पांच मिनट का है उसे सवारी लेने के लिए 15 मिनट का कर दिया जाए। इस विषय पर सहमति बनती है तो सोमवार को ऐसा ही होगा। ग्वालियर से डबरा, मुरैना, भिंड, दतिया जाने वाली बसों में शनिवार को सवारी नहीं मिलीं। इसका एक बड़ा कारण यह बताया गया है कि कोरोना के डर से लोग बसों में बैठने के लिए तैयार नहीं है। पोरसा की एक बैंक में दीनदयाल नगर से काफी सवारी मिलतीं थी लेकिन उन्होंने एक इनोवा हायर कर ली है और अनलॉक स्थिति में भी बसों पर भरोसा नहीं दिखा। बरेली, ओरैया और कानपुर जाने वाली बसों को भी सवारी नहीं मिल रहीं। इसीलिए बसों को सवारी के लिए अभी कुछ दिन इंतजार करना होगा।