राशि न मिलने से अटका निगमकर्मियों का वेतन, अब एफडी तोड़ने की तैयारी

राशि न मिलने से अटका निगमकर्मियों का वेतन, अब एफडी तोड़ने की तैयारी

ग्वालियर। नगर निगम के वित्त विभाग द्वारा आचार संहिता लगने के पहले बिना सोचे समझे भुगतान के बाद निगम का खजाना पूरी तरह खाली हो गया है। साथ ही शासन से मिलने वाली चुंगी क्षति पूर्ति व संपत्तिकर वसूली मिलने की आस फीकी पड़ गई है। हालात यह हैं कि दिसंबर महीने के 08 दिन गुजरने के बाद भी पैसा न होने पर निगम अधिकारी एफडी तोड़कर वेतन देने की जुगत में लगे हैं। नगर निगम में लगभग 7 हजार से ज्यादा नियमित, विनियमित व राज, शर्मा व सेंगर सिक्योरिटी के आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन देने के लिए निगम को प्रतिमाह लगभग 17 करोड़ से ज्यादा रकम का भुगतान करना पड़ता है।

लेकिन निगम की वित्तीय स्थिति खराब होने के चलते वर्तमान में निगम खाते में बमुश्किल दो से ढाई करोड़ की रकम ही बताई जा रही है और निगम अधिकारियों द्वारा शासन से मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि लगभग 12 से 14 करोड़ व लोक अदालत के जरिए 20 करोड़ मिलने पर वेतन देने की प्लानिंग थी, लेकिन दोनों स्थानों से उम्मीद अनुसार राशि न मिलने पर निगम कर्मचारियों को वेतन देने का संकट पैदा हो गया है और निगम अधिकारी निगम के पास मौजूद लगभग 28 करोड़ की अलग-अलग एफडी में से कुछ को तोड़ने के लिए सोमवार से प्रोसेस शुरू करेंगे।

पीएमएवाई से चाहते थे 10 करोड़

निगम जानकारों की मानें तो मनमाने भुगतान के बाद वित्त की बिगड़ी स्थिति सुधारने के लिए लेखा शाखा ने पीएमएवाई मद से 10 करोड़ की राशि चाही थी, लेकिन अधिकारियों ने हेड बदलकर राशि देने से मना कर दिया था और यही कारण है कि पीएमएवाई, कायाकल्प व 15वें वित्त आयोग से मिली राशि होने पर भुगतान किए जा रहे हैं।

35-40 करोड़ के भुगतान अटके

निगम के वित्त शाखा अधिकारियों की मानें तो वर्तमान में जनकार्य विभाग के लगभग 22 करोड़, पीएचई विभाग के लगभग 05 करोड़, पीआरओ- भण्डार सहित अन्य विभागों के 01-01 करोड़ की राशि सहित लगभग 35-40 करोड़ के भुगतान वाले बिल निगम की लेखा शाखा में पेंंिडंग हैं और जिम्मेदार अधिकारी खाली खजाने के चलते भुगतान देने पर हाथ खड़े किए हुए हैं।

वेतन भुगतान करने के लिए निगम को हर माह शासन से मिलने वाली चुंगी क्षतिपूर्ति का इंतजार है। यदि वह राशि नहीं मिली तो निगम के पास एफडी तोड़ी जा सकती है। रजनी शुक्ला,अपर आयुक्त वित्त, नगर निगम