जेएएच में इमरजेंसी मेडिसिन सुविधा बनी सपना, एम्स जैसी सुविधा देने का था दावा

जेएएच में इमरजेंसी मेडिसिन सुविधा बनी सपना, एम्स जैसी सुविधा देने का था दावा

ग्वालियर। अंचल के सबसे बड़े अस्पताल समूह में मरीजों को बेहतर सुविधा देने के प्लान बनाए जाते हैं, लेकिन यह योजना केवल योजना ही बनकर रह जाती है। बात चाहे टर्सरी कैंसर केयर यूनिट की हो या फिर इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड की। इमरजेंसी वार्ड को लेकर प्रबंधन द्वारा घोषणा की गई थी कि यह जल्द शुरु हो जाएगा, लेकिन 6 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी प्रबंधन यह वार्ड शुरु नहीं कर पाया। इस कारण मरीजों की परेशानी पहले की तरह जारी है और यह प्रोजेक्ट कागजों में ही दबकर रह गया है।

दूसरी ओर अस्पताल की वर्तमान परिस्थितियों की बात की जाए तो बजट के अभाव में न केवल दवा संबंधी व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं, बल्कि इस प्रकार की योजनाएं पूरी नहीं होने के कारण मरीज फुटबॉल बना हुआ है। दूसरी ओर इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड का जो काम था, वह बंद पड़ा है, जबकि एनएमसी से इस मामले में कॉलेज प्रबंधन को राहत मिल चुकी है। यहां से कॉलेज को तीन पीजी सीट मिलीं और इसमें दो पीजी भी आ चुके हैं, लेकिन इनका लाभ मरीजों को कब तक मिलेगा, यह कहा नहीं जा सकता है। इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. जितेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड शुरू होने से मरीजों को बेहतर उपचार मिलेगा। इनकी मानें तो अगले दो महीने में यह वार्ड प्रारंभ हो जाएगा। हालांकि अभी इसका काम पूरी तरह बंद पड़ा है, ताले लटके हुए हैं।

क्या है इमरजेंसी की वर्तमान व्यवस्था

जेएएच समूह के अस्पतालों की वर्तमान इमरजेंसी व्यवस्था काफी बदतर चल रही है। आठ नंबर की बात की जाए यहां पर इमरजेंसी के अलावा एक्सीडेंटल केस पहुंचते हैं। एक्सीडेंटल वालों के लिए तो ट्रॉमा सेंटर बना है, लेकिन अन्य बीमारियों के मरीजों को यहां से दूसरे वार्ड में रेफर कर दिया जाता है, जबकि इसके सामने वार्ड बना हुआ है और वहां पर पलंग भी डले हुए हैं। जेएएच के पुराने परिसर में अभी कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी के साथ ही पीडियाट्रिक्स एवं महिला एवं प्रसूति रोग विभाग चल रहे हैं, बाकी के सभी विभाग हजार बिस्तर के अस्पताल में पहुंच चुके हैं। सभी का भर्ती का पर्चा अभी माधव डिस्पेंसरी में बनाया जाता है। हालांकि केआरएच में आईपीडी का पर्चा बनाने की सुविधा है यानि की ओपीडी के बाद इन विभाग को छोड़कर अन्य विभाग की समस्या वाले मरीज को पहले माधव डिस्पेंसरी आना पड़ेगा। इसके बाद अगर भर्ती होना है तो आधा किमी से अधिक का चक्कर लगाकर हजार बिस्तर के अस्पताल में एडमिट होने के लिए पहुंचना पड़ेगा।

40 बेड का बनना था वार्ड, 24 मिलते डॉक्टर

जीआरएमसी प्रबंधन के दावों की बात की जाए तो इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड में मरीजों को एम्स जैसी सुविधाएं मिलने वाली थीं। यहां पर मरीजों के लिए 40 पलंग डाले जाएंगे, इसके साथ ही कंसल्टेंट ऑन कॉल उपचार के लिए उपलब्ध रहेंगे और पीजी व एसआर यहां पर मरीजों के उपचार के लिए रहने वाले हैं। अब देखना यह है कि अस्पताल में कब तक यह सुविधा मरीजों को मिल पाती है, वर्तमान में इसका काम ऑक्सीजन पाइप लाइन की वजह से रुका पड़ा है।

इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड शुरू होने के बाद मरीजों को और बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। इस प्रोजेक्ट में क्यो देरी हो रही है, इस बारे में सबंधित अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। यह वार्ड माधवडिस्पेंसरी में बनाया जा रहा है, इसके लिए हाल ही कुछ मशीनें भी आई हैं, पलंग भी आ चुके हैं। डॉ. योगेन्द्र वर्मा, पीआरओ जेएएच