गूगल म्यूजियम का नाम बदला अब शिवाजी के नाम पर होगा

गूगल  म्यूजियम का नाम बदला अब शिवाजी के नाम पर होगा
गूगल  म्यूजियम का नाम बदला अब शिवाजी के नाम पर होगा

आगरा । मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज कर दिया है। इसकी जानकारी देते हुए सीएम ने कहा कि नए उप्र में गुलामी की मानसिकता के प्रतीक चिह्नो का स्थान नहीं है। हमारे नायक शिवाजी महाराज हैं। ये म्यूजियम ताज महल के पूर्वी गेट रोड पर बन रहा है। पूरा प्रोजेक्ट 5.9 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है और इसका बजट 142 करोड़ रुपये है। 2017 से पहले अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार में म्यूजियम निर्माण का काम शुरू हुआ था। यूपी के टूरिज्म विभाग को म्यूजियम की इमारत बनवाने की जिम्मेदारी दी गई है। इसका 40 प्रतिशत कार्य हो चुका है।

म्यूजियम में क्या होगा?

आगरा का इतिहास मुगलकाल से जुड़ता है। लिहाजा, इसमें ताज महल, लाल किला और उससे जुड़ी चीजें भी नजर आएंगी। इसके अलावा संग्रहालय में छत्रपति शिवाजी महाराज के दौर से जुड़ी चीजें रखी जाएंगी। साथ ही ब्रज क्षेत्र में मुगलकाल से जुड़ी वस्तुओं और दस्तावेजों को भी रखा जाएगा।

 छत्रपति शिवाजी महाराज का आगरा कनेक्शन

आगरा किले के चारों ओर खाई - सूखी खाई और पानी वाली खाई है। मुगलकाल में यमुना आगरा किले से सटकर बहती थी। यमुना की ओर खुलने वाले आगरा किले के द्वार को वाटर गेट कहते हैं। यहीं से शिवाजी की जेल की ओर जाने का रास्ता है। कहा जाता है कि शिवाजी वाटर गेट से होते हुए आगरा किले से गायब हो गए थे। आगरा किले के वरिष्ठ संरक्षण सहायक अमरनाथ गुप्ता कहते हैं कि शिवाजी किले में कैद रहे हैं, तो वाटर गेट से ही पलायन का उचित मार्ग है। मुख्य द्वार से जाना संभव प्रतीत नहीं होता है।

छत्रपति शिवाजी

महाराज का आगरा कनेक्शन आगरा किले के चारों ओर खाई - सूखी खाई और पानी वाली खाई है। मुगलकाल में यमुना आगरा किले से सटकर बहती थी। यमुना की ओर खुलने वाले आगरा किले के द्वार को वाटर गेट कहते हैं। यहीं से शिवाजी की जेल की ओर जाने का रास्ता है। कहा जाता है कि शिवाजी वाटर गेट से होते हुए आगरा किले से गायब हो गए थे। आगरा किले के वरिष्ठ संरक्षण सहायक अमरनाथ गुप्ता कहते हैं कि शिवाजी किले में कैद रहे हैं, तो वाटर गेट से ही पलायन का उचित मार्ग है। मुख्य द्वार से जाना संभव प्रतीत नहीं होता है।

 फलों की टोकरी में बैठकर किले से निकल गए थे शिवाजी

कुछ इतिहासकार कहते हैं कि शिवाजी आगरा किले में कैद रहे। उनके यहां से निकलने के बारे में बताया जाता है कि शिवाजी ने जेल में बीमार होने का बहाना बनाया। वे फलों की टोकरियां दान में भेजने लगे। 13 अगस्त, 1666 को वे फल की एक टोकरी में बैठकर गायब हो गए। औरंगजेब हाथ मलता रह गया। कोठरी में शिवाजी के स्थान पर उनके चचेरे भाई हीरोजी चादर ओढ़कर लेटे रहे। इससे सुरक्षा प्रहरी भ्रम में रहे।

 कहां-कहां गए शिवाजी

बताया जाता है कि यमुना में नाव में बैठकर शिवाजी ताजगंज श्मशान घाट स्थित मंदिर की ओर आए। यहां भी कुछ दिन छिपकर रहे। स्टेशन रोड स्थित महादेव मंदिर में भी रुकने की किंवदंती है। वे साधु-संतों की टोली में बैठकर मथुरा की ओर रवाना हो गए। औरंगजेब लाख जतन करने के बाद भी शिवाजी को पकड़ नहीं सका।