अवैध कॉलोनियों के मामले में सरकार शांत, नहीं बने नियम, लोग परेशान

अवैध कॉलोनियों के मामले में सरकार शांत, नहीं बने नियम, लोग परेशान

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शिवराज सरकार द्वारा अवैध कॉलोनियों को वैध करने के फैसले को पलटने के बाद पुन: सत्ता में आई भाजपा ने इस मामले में मौन साध लिया है। क्योंकि पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार भी इस मामले में पहल करने के बाद कुछ नहीं कर पाई थी। साथ ही अब पुन: सत्ता पाने के बाद भाजपा किसी भी प्रकार का नियम नहीं बना पा रही है। अवैध कॉलोनियों को वैध करने की योजना की शुरूआत 8 मई 2018 में मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह ने ग्वालियर से ही की थी और अभियान के चलते ग्वालियर में कई चरणों में चिन्हित होने के बाद 696 कॉलोनियों सामने आई थी, लेकिन खोजबीन के बाद मात्र 429 कॉलोनियों को ही अवैध से वैध होने की पात्रता की सूची में स्थान मिला था और 267 कॉलोनियों को सरकारी जमीन पर बने होने व ग्रीन बेल्ट पर स्थित होने के चलते अवैध की श्रेणी में रखकर छोड़ दिया गया था। लेकिन अवैध कॉलोनियों को धारा 15 अ के तहत वैध करने को नियम विरुद्ध बताकर अधिवक्ता उमेश बोहरे ने याचिका दायिर की। जिस पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता ने तत्कालीन प्रदेश सरकार के साथ-साथ मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व समेत पांच लोगों को पार्टी बनाया था। साथ ही याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में ऐसे सरकारी सर्वे नंबर पेश किए, जिन्हें नियम विरूद्ध वैध कॉलोनियों में शामिल कर दिया गया। सभी तथ्य जानने के बाद हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार की धारा-15 अ को खत्म कर दिया था। दोषी अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश इस धारा-15 अ जिसके बाद अब फिर से अवैध से वैध हुई कॉलोनियां फिर से अवैध हो गयी हैं। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि अवैध कॉलोनियों को बसाने के दौरान जिम्मेदारों अफसरों के खिलाफ भी निगम की धारा 292 ए के तहत कार्रवाई की जाये इसके लिए दोषी उस सर्किल के डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, आरआई, अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई की जाए। लेकिन मामले में अभी तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

प्रदेश में कुल 6 हजार कालोनियों होनी थी वैध

8 मई 2018 को प्रदेश भर की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्वालियर में ही की थी। इसके तहत 6हजार अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए चिन्हित करने के बाद 4624 कॉलोनियों को पात्रता में रखा था। लेकिन अब हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद यह कॉलोनियां फिर से अवैध हो गयी है।