अब डॉक्टर्स पहुंच रहे लेडीज क्लब और कॉर्पोरेट ऑफिस, ताकि बीमारी से पहले बचाव पर हो बात

अब डॉक्टर्स पहुंच रहे लेडीज क्लब और कॉर्पोरेट ऑफिस, ताकि बीमारी से पहले बचाव पर हो बात

अक्सर डॉक्टर्स को हम ओपीडी, ओटी या कंसल्टेशन रूम में ही देखते हैं, जहां वो मरीजों से उनकी बीमारियों के इलाज के संबंध में बात करते हैं, लेकिन बीमारी से पहले ही अगर डॉक्टर से बात हो जाए तो कैसा रहे, यह विचार कम ही लोगों को आता है। डॉक्टर्स कहते हैं, यह मुश्किल है कि लोग बीमारी होने से पहले या संभावित लक्षण दिखने पर बात करने आएं। यही वजह है कि अब हम डॉक्टर्स आम लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने के मकसद से खुद उनके पास पहुंच रहे हैं। वे कहते हैं, हॉस्पिटल के व्यस्त शेड्यूल में से वक्त निकालकर कॉर्पोरेट ऑफिस, मीडिया हाउस, गवर्मेंट ऑफिस, बैंक, स्कूल, कॉलेज और क्लब्स में हेल्थ टॉक के लिए जा रहे हैं, जहां ऑडियंस के मुताबिक हेल्थ टॉपिक पर बात की जाती है।

ऑनलाइन भी लेते हैं नॉलेज सेशन, 30 के बाद हेल्थ रिलेटेड समस्याओं पर करते हैं बात

शहर के डॉक्टर्स कहते हैं, हम चाहते हैं जनरल हेल्थ से लेकर 30 प्लस के बाद होने वाली हेल्थ रिलेटेड समस्याओं से लोगों को बचाएं ताकि वे लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन व प्रिवेंशन पर फोकस करें और सुरक्षित रहें। इसके लिए डॉक्टर्स हर टॉपिक पर पीपीटी भी बनाकर रखते हैं। इसके अलावा शहर के डॉक्टर्स शहर के विमेंस क्लब से रिक्वेस्ट मिलने पर ऑनलाइन नॉलेज सेशन भी ले रहे हैं। हेल्पबॉक्स एनजीओ के सुनील अवसरकर कहते हैं, हम स्कूल-कॉलेज की स्टूडेंट्स के लिए महिला स्वास्थ्य व उपलब्ध वैक्सीनेशन पर बात करते हैं ताकि वे जागरूक रहें।

आंखों के लिए लेती हूं सेशन

आंखों की जांच के लिए लोग तभी आते हैं, जब उन्हें लगता कि साफ नजर नहीं आ रहा लेकिन आई टेस्ट इसके कहीं आगे हैं। यदि किसी को डायबिटीज है तो उसे हर साल आंखों की दो बार जांच कराना चाहिए क्योंकि इससे आंखों की बीमारी डायबिटिक रेटिनोपैथी आती है, जिसके बारे में लोग नहीं जानते और ब्लाइंडनेस की तरफ बढ़ते जाते हैं। मैं हर महीने स्कूल, कॉलेज, सीनियर सिटीजन क्लब, बैंक, टेलीकॉम ऑफिस जैसी जगहों पर आंखों की सुरक्षा पर सेशन लेती हूं। कई तरह की भ्रांतियां इससे मिटती हैं और नई व सही जानकारी लोगों को मिलती है। सभी को एक बात जरूर कहती हूं कि अपनी आंखों पर तरस खाएं और स्क्रीन टाइम कम करें, जो कि आंखों को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। -डॉ. विनिता रामनानी, आई स्पेशलिस्ट

ऑफिसेस और क्लब में जाकर लेती हूं सेशन

मेरा मानना है कि महिलाओं की सेहत के बारे में पुरुषों को भी पता होना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि उनकी बहन, पत्नी और मां को किस उम्र में किस तरह की समस्या या बदलावों से गुजरना होता है। वहीं महिलाओं को मेंस्ट्रुअल साइकिल से लेकर मेनोपॉज तक के बारे में बताने जाती हूं क्योंकि मेनोपॉज के लक्षण 2 से 3 साल पहले से दिखने शुरू हो जाते हैं। बैंकिंग सेक्टर, टेलीकॉम, बिजनेस हाउस, इंडस्ट्रीज, स्कूल, कॉलेज से भी बुलावा आता है और हर जगह की ऑडियंस के हिसाब से पीपीटी भी दिखाकर समझाती हूं। मैं लेडीज क्लब में महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर, मेनोपॉज, प्रेगनेंसी, हाइजीन, एचआईवी, एसटीडी, यूटीआई, सर्वाइकल कैंसर वैक्सीनेशन जैसे हेल्थ टॉपिक पर जानकारी देती हूं। कई बार ऑनलाइन सेशन भी लेती हूं। -डॉ. अनूपा वालिया, गायनेकोलॉजिस्ट

प्रेग्नेंसी में डेंटल चेकअप बहुत जरूरी

महिलाएं डेंटल हेल्थ को लेकर अपने बच्चों को लेकर आती हैं लेकिन खुद को समस्या होने पर अगले महीने पर बात टालती रहती हैं। मुझे कई एनजीओ, विमेंस क्लब, स्कूल और कॉलेज में हर उम्र के साथ आने वाली डेंटल हेल्थ के बारे में बात करने बुलाया जाता है। प्यूबर्टी एज से लेकर जीवन के अलग-अलग समय पर दांतों में समस्या होती है। प्रेग्नेंसी में मसूड़ों में सूजन और ब्लीडिंग की समस्या होती है और इसकी वजह से बैक्टीरिया खाने के साथ ब्लड स्ट्रीम में जाते हैं, जिसका असर बच्चे के हेल्थ पर पड़ता है, यह जानकारी लोगों को नहीं होती। प्रेग्नेंसी में छठवें महीने तक डेंटल चेकअप जरूर करा लेना चाहिए। डेंटल हेल्थ, हार्ट से लेकर जोड़ों की बीमारियों तक से संबंधित है। -डॉ. प्रतिमा वाजपेयी, वाइस चेयरपर्सन विमेंन डेंटल काउंसिल