एक्टर्स के लिए किसी वरदान से कम नहीं ओटीटी

एक्टर्स के लिए किसी वरदान से कम नहीं ओटीटी

जिंदगी में टर्निंग पॉइंट बहुत आते हैं, जब मैं कोलकाता में थिएटर करता था उस समय अवॉर्ड मिला वह मेरे लिए टर्निंग पॉइंट था। उसके बाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा 1994-97 में जाना भी एक जीवन का अहम मोड़ साबित हुआ। इसके बाद मानसून वेडिंग फिल्म में एक्टिंग में काम मिलना अपने आप में बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। अभी पिछले दो सालों में ओटीटी प्लेटफॉर्म की सक्रियता बढ़ना भी हम एक्टर्स के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। इस समय ओटीटी की पहुंच बहुत ज्यादा है और घर-घर में पूरी सीरीज के एक-एक रोल का पहुंचना किसी अचीवमेंट से कम नहीं है। यह कहना था एक्टर दिब्येंदु भट्टाचार्य का जो शहर में एक वेब सीरीज की शूटिंग के लिए शहर में मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने आईएम भोपाल से खास बातचीत में जीवन के अहम किस्से शेयर किए। हर शो में ऑब्सीन सीन होना जरूरी नहीं : ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ऑब्सीन सीन और सेंसरशिप को लेकर एक्टर दिब्येंदु ने कहा कि ऐसा नहीं है हर शो में गालियां या कोई ऑब्सीन सीन दिखाए जा रहे हैं। कुछ अच्छी वेब सीरीज ऐसी भी है जो फैमिली ओरिएंटेड कहानियां दिखाई जा रही हैं। मैंने हाल ही में एक वेब सीरीज की है 'रॉकेट बॉयज' जो साइंटिस्ट्स पर है जिनके बारे में जनता को भी नहीं पता है। वेब सीरीज 'जामताड़ा-2' भी की जहां ऑनलाइन स्कैमिंग की बात की है जिसका सेकंड सीजन जल्द ही रिलीज होने वाला है।

हबीब तनवीर से बहुत प्रभावित था

मैं जब नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा जॉइन किया तब फिल्मों में एक्टिंग को लेकर कभी सोचा ही नहीं। मेरे दिमाग में सिर्फ थिएटर था जिसको लेकर मैं नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के मंच पर ले जाना चाहता था। उन दिनों हबीब तनवीर साहब कोलकाता आए हुए थे। उनका एक शो 'चरण दास चोर' देखा और मैं दंग रह गया की ऐसा भी थिएटर होता है। अक्सर मुझसे कहा जाता है कि मैं ग्रे शेड रोल ज्यादा करता हूं। ऐसा है नहीं मेरे लिए काम ज्यादा इम्पोर्टेन्ट हैं, जो काम आता रहा उसे करते रहना चाहिए। मुझे जो काम मिलता है उसे शिद्दत से निभाता हूं।