ग्राहकों के हितों के लिए लाया गया है अतिरिक्त ब्याज पर रोक का प्रस्ताव

ग्राहकों के हितों के लिए लाया गया है अतिरिक्त ब्याज पर रोक का प्रस्ताव

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में लोन न चुका पाने पर लगाई जाने वाले पेनल्टी से ग्राहकों को निजात दिलाने के लिए इन्हें खत्म करने का प्रस्ताव किया है। आरबीआई ने कहा है कि बैंकों द्वारा लगाए गए अतिरिक्त ब्याज पर रोक लगाने का प्रस्ताव ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। आरबीआई ने ‘फेयर लेंडिंग प्रैक्टिस - लोन अकाउंट्स पेनल चार्जेस’ पर अपने ड्राफ्ट सर्कुलर में कहा है कि पेनल्टी चार्ज की मात्रा डिफॉल्ट या लोन कॉन्ट्रैक्ट के महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों के गैर-अनुपालन के समानुपाती होनी चाहिए। क्या है इसका मतलब : रिजर्व बैंक ने बुधवार को विनियमित संस्थाओं (आरई) को ब्याज पर जुर्माना लगाने की प्रक्रिया में उचित और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किए। दिशा-निर्देशों के तहत ऋण देने वाली संस्थाओं को ब्याज न चुका पाने पर पेनल्टी लगाने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति तैयार करने की स्वायत्तता है। हालांकि, कई आरबीआई विनियमित संस्थाएं (आरई) शर्तों का अनादर होने और उनका पालन न करने के मामले में लागू ब्याज दरों के अलावा कुछ दंडात्मक शुल्क का उपयोग करती हैं। ये उन शर्तों का उपयोग करती हैं, जिन पर क्रेडिट सुविधाएं स्वीकृत की गई थीं। क्या होगा इस बदलाव का असर : आरबीआई ने कहा कि दंडात्मक ब्याज-प्रभार लगाने का इरादा ग्राहकों या लेनदारों को टॉर्चर करना नहीं है। ऐसा इसलिए किया गया है कि कर्ज लेने वालों को समय पर लोन चुकाने के लिए प्रेरित किए जा सके। इससे उनके अंदर एक अनुशासन की भावना पैदा होगी और वे समय पर अपना लोन भरेंगे। इससे ये भी ये सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि बैंकों को भी कुछ अतिरिक्त फायदा हो सके। आरबीआई ने कहा है कि इसे बैंकों के लिए कमाई का जरिया नहीं बनना चाहिए।

अब क्या करेगा आरबीआई?

ऋण पर ब्याज दरों का निर्धारण ब्याज दरों के पुनर्निर्धारण की शर्तों सहित इस संबंध में जारी प्रासंगिक विनियामक निर्देशों द्वारा सख्ती से नियंत्रित किया जाएगा। आरबीआई ने कहा कि आरई ब्याज दर में कोई अतिरिक्त चीज शामिल नहीं करेंगे।

वर्तमान मानदंड क्या हैं?

वर्तमान में, बैंकों द्वारा कितना दंडात्मक ब्याज वसूला जा सकता है, इस पर कोई दिशानिर्देश नहीं हैं। इसलिए, यह अलग-अलग बैंकों में भिन्न हो सकता है। ये शुल्क तब लगाए जाते हैं, जब लेनदार अपना कर्ज चुकाने में चूक जाता है या समय पर ईएमआई के भुगतान नहीं कर पाता। चेक बाउंस के मामले में भी कुछ बैंक अतिरिक्त शुल्क वसूल करते हैं।

आगे क्या होगा?

आरबीआई ने लेनदारों, बैंकों और अन्य संस्थानों से सुझाव मांगे हैं। चर्चा के बाद अंतिम दिशा-निर्देश जारी होंगे। नए नियम आरबीआई द्वारा विनियमित सभी संस्थाओं पर लागू होंगे, जिनमें सभी वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक, जैसे अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान शामिल हैं।